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आज के समय में प्यार, इश्क और ….

चिठ्ठाकारी
चिठ्ठाकारी
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प्यार पर ही यह दूनिया कायम हैं. यह राज हर किसी को मालूम है. कृष्ण हो या शिव सब प्यार में मोहित थे. प्यार का ही असर है कि दूनिया इतनी खूबसूरत है. दूनिया के सात अजूबों में से एक भी प्यार की ही निशानी है. लेकिन आज का समय प्यार को अजब परिभाषा दे चुका है आज प्यार का मतलब सेक्स हो चुका है. आज सेक्स और प्यार में अंतर बता पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है.

एक समय था जब प्यार को लोग पूजा मानते थे,कृष्ण और राधा को लोग पवित्र मानते थे लेकिन समय ने जैसे सब बदल दिया. आज प्यार सिर्फ वासना और शरीर की भूख पूरा करने का माध्यम रहा गया है.

पश्चिमी सभ्यता और फिल्मों के बिगडते स्वरूप ने युवा मन को भटकने पर आतुर कर दिया है. पहले छुप छुप होने वाला प्यार आज सबके सामने खूलमा खुला होता है. और आज सब वकालत कराते है कि इसमें गलत ही क्या है जब हम आजाद है तो क्यों कुछ छुपाए.

पर कभी सोचा है किसने कि अब नैतिकता कहां है, किस गाली में छुप गयी है यह बला. नही ना लेकिन यह सोचने वाली बात है क्योंकि हमारा कल इसी समाज में रहेगा क्या हम बर्दाश्त कर सकेंगे कि हमारे बच्चे इसी गंदी संस्कृति के शिकार हो जब तक आजादी की बात होती है तब तक सब सही है, लेकिन जब आजादी अराजकता बन जाती है तो यह समाज और संस्कृति दोनों के लिए एक खतरा होती है.

लेकिन यह समाज हम युवाओं से ही बनता है हमें खूद पर काबू रखना होगा और अपने छोटों को नैतिकता का मोल समझाना होगा ताकि आने वाले समय में हमें शर्मिंदा न होना पडें.

आए दिन होने वाले ऑनर किलिंग, बलात्कार, रेप, होमोसेक्सुअल के केसों ने हमें मजबुर कर दिया है कि हम अपनी नैतिकता और समाज में शिष्टता के बारें में सोचें.

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