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वक्त का पहिया एक बार फिर अपना पूरा चक्कर घूम गया है और पूरे एक साल का समय निकल गया। बीता हुआ साल एक ओर जहाँ ये सोचने पर मजबूर करता है की गत वर्ष हमने क्या हासिल किया और क्या हासिल नहीं कर पाये वही हमें अपनी गलतियों से सीख लेने का सबक भी देता है। समय कब कहाँ से चला था ये तो नहीं पता लेकिन ये सत्य है कि जब से इस सृष्टि की रचना हुई है तब से सब कुछ समय चक्र के अनुसार ही हो रहा है। समय की गति के साथ ही हम विकास की सीढ़ियां चढ़ते रहे है , प्रतिदिन नई सोच , नई मंजिले पाते रहे है। हमारी यही सोच , यही प्रयास हमें विश्व में अलग पहचान देने का सामर्थ्य प्रदान करता है। आने वाले वर्ष में देश के सामने अनेक चुनौतिया है , जिनसे पार पाना न सिर्फ सरकार के लिए वरन देश की जनता के लिए भी बेहद जरुरी है . नोट बंदी , पांच राज्यों के चुनाव सहित अनेक अन्य .
पिछले वर्ष देश ने अनेक मोर्चों पर सफलता हासिल की लेकिन अनेक ऐसे भी मोर्चे रहे जहाँ हम विफल रहे इनके पीछे सबसे बड़ा कारण उसके अपने ही लोग रहे। नोट बंदी , चोर बाजारी, काला धन जैसे कई सवाल अभी भी अनुत्तरित है . अगर शहरों की बात छोड़ दे तो गाँव में अभी भी नोट बंदी की पीड़ा है , दर्द है. यदि हम अपनी पीड़ा को समाज और राष्ट्र की पीड़ा मान ले तो शायद देश के विकास की गति को और बढ़ा सके। जब तक सामान शिक्षा व्यवस्था के प्रति हम सचेत नहीं हो जाते तब तक देश के प्रगति को हम गति नहीं प्रदान कर सकते है। महिलाओं के सम्मान , अमीर , गरीब , ऊंच नीच , छोटे बड़े की मानसिकता से हमें बाहर निकलना होगा। . नए साल में हमें संकल्प लेना होगा की मुसीबत में फंसे लोगों की प्रवृत हम स्वयं में विकसित करेंगे। लोगों में रक्त दान , अंग दान के प्रति जागरूकता लाने का संकल्प भी हमें ही लेना होगा। यदि हम अपनी पीड़ा को समाज और राष्ट्र की पीड़ा समझने लगेंगे तो राष्ट्र निर्माण की हमारी इच्छा जरूर पूरी होगी।
किसी भी क्षण , दिन , माह , वर्ष का जाना इतिहास होता है , कल जो बीत गया वो आज का इतिहास है। हम बचपन से इतिहास पढ़ते है इसलिए कि हम जान सके कि हमसे पहले क्या था , क्यों था , कैसे था। बीता वर्ष हमें अपनी गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। निश्चित रूप से अब लोग अपने सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सजग हुए है। लोग स्वच्छ्ता पर ध्यान दे रहे है , समय पर टैक्स भर रहे है , साक्षरता का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है , चुनाओ में मतदान का प्रतिशत भी बढ़ता जा रहा है ख़ास कर महिलाओं के मतदान का प्रतिशत बढ़ना एक शुभ संकेत है।
नए वर्ष में देश के सभ्य नागरिक होने के नाते हम कुछ जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकते है , मसलन अपने आस पास , मोहल्ले में साफ सफाई की जिम्मेदारी निभा सकते है। पर्यावरण को स्वच्छ और सुन्दर बनाने का प्रण ले सकते है , देश में शिक्षा के प्रचार और प्रसार की जिम्मेदारी ले सकते है , देश में भ्रष्टाचार को रोकने की शुरुआत कर सकते है , दीन दुखियों की सहायता का बीड़ा उठा सकते है। ऐसे एजेंडों में से अगर प्रत्येक नागरिक एक भी एजेण्डे पर काम करने लगे तो नए वर्ष में देश विश्व में नया मुकाम हासिल करने में अवश्य ही सफल होगा। क्योंकि हमारा छोटा सा प्रयास भी परिवर्तन ला सकता है। छोटे छोटे कदम ही सशक्त भारत के निर्माण में सहयोग दे सकते है।
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