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नामकरण पर बेवजह की राजनीति

NAV VICHAR
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पता नहीं इसे अपने देश का दुर्भाग्य कहें या सौभाग्य कि यहाँ किसी भी अच्छे काम , योजना या कार्यक्रम की आलोचना जरूर होती है . कभी कभी ये आलोचना अच्छे परिणाम लेकर भी आती है . लेकिन अधिकांशतः ये विरोध सिर्फ धर्म , जाति के नाम पर होती है अब अगर पिछले दिनों दिल्ली के औरंगजेब रोड के नए नामकरण की बात करे तो इसका भी विरोध होने लगा . ज्ञातव्य हो सरकार ने औरंगजेब रोड का नामकरण पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉक्टर अब्दुल कलाम के नाम पर करने का निर्णय लिया जिसका देश के ओबैसी जैसे कट्टरपंथियों ने विरोध करना शुरू कर दिया . जबकि यदि तुलना की जाए तो पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर कलाम और औरंगजेब की सोच , कार्य और उपलब्धियों में जमीन आसमान का फर्क है . जहाँ एक तरफ डॉ. कलाम नरम दिल , ईमानदार , दयावान , विद्वान पुरुष थे वहीं औरंगजेब क्रूर , सत्तालोलुप , आतताई और कट्टरवादी था . गद्दी के लिए औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को लगभग आठ साल तक यानि उसके मृत्यु तक आगरा के कैदखाने में कैद कर लिया था . सत्ता के लिए उसने अपने बड़े भाई दारा शिकोह के साथ साथ अपने दो अन्य भाइयों का भी क़त्ल करा दिया यहाँ तक की उसने अपनी बहन जहाँ आरा का भी क़त्ल करा दिया . दारा शिकोह को उदारवादी माना जाता था . उसने उपनिषदों का फ़ारसी में अनुवाद करवाया था . धर्म परिवर्तन से मना करने पर औरंगजेब ने सिख गुरु तेग बहादुर का सर कलम करा दिया था. औरंगजेब ने इस देश में धर्म के नाम पर जो नफरत की खाई पैदा कर दी थी उसका प्रभाव आज भी है . १६६९ में औरंगजेब ने हिन्दू मंदिरों और स्कूलों को तहस नहस कराया इसमें वाराणसी का काशी विश्वनाथ और उड़ीसा का प्रसिद्ध मंदिर भी शामिल है . औरगजेब ने इस्लाम का नाम लेकर कट्टरवाद को अपने शासन का आधार बनाया .औरंगजेब की इस बात के लिए सबसे ज्यादा आलोचना होती की उसने भारत की उस मूल भावना को खंडित करने का कार्य किया जिसके अंतर्गत यहाँ सभी धर्मों को सामान रूप से सम्मान दिया जाता है .आज इसीलिए हमें औरंगजेब नहीं वरन अब्दुल क़लाम चाहिए जो आइडिया ऑफ इंडिया के सबसे बड़े एम्बेसडर रहे है . डॉ. क़लाम मुस्लिम होते हुए भी गीता पढ़ते थे , वीणा बजाते थे और सभी धर्मो का सम्मान करते थे . वे देश के लोगो में लोकप्रिय थे . भारत की जनता का उनके प्रति प्रेम और आदर का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की उन्हें ” पीपुल्स प्रेजिडेंट ” कहा जाता है . उन्होंने देश की रक्षा के अनेको मिसाइलें बनाई इसीलिए उन्हें ” मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता है . ये जानकर शायद हर भारतीय को आश्चर्य होगा की औरंगजेब जैसे क्रूर और अत्याचारी शासक को पाकिस्तान में पढाई जाने वाली किताबों में हीरो के रूप में प्रस्तुत किया गया है इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि धर्म के नाम पर वो कट्टरवादी था और पाकिस्तान कि रूह में भी कट्टर वाद रचा बसा है . शायद इसी वजह से पाकिस्तान अपने देश के बच्चों को अपने इस नायक की कहानिया पढ़वाता है . औरंगजेब रोड को डॉ. कलाम का नाम देने का विरोध करने वाले लोग दरअसल हर चीज़ को कट्टरवादी सोच और धर्म के चश्मे से देखते है , ये उनकी आदत में शुमार है. वे ये भूल जाते है हर विषय में राजनीति अच्छी नहीं होती , जनता उन्हें ही याद करती है जिसने देश , समाज और जनता के लिए अपना योगदान दिया है .

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