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बच्चों के लिए अच्छे साहित्य की आवश्यकता

NAV VICHAR
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बच्चों के भविष्य निर्माण में पुस्तकों का महत्वपूर्ण स्थान होता है।  अच्छा साहित्य उनके मन में नैतिकता , राष्ट्र प्रेम , सदभाव की भावना भरने में सहायक होता है।  कहानी सुनने और सुनाने की प्रवृति जन्मजात होती है।  शिशु जब पृथ्वी पर अवतरित होता है तब उसको विश्व के नैसर्गिक कार्यकलाप विचित्र प्रतीत होते है , उसके भीतर कौतुहल जागृत होता है।

नील गगन में तारों का टिमटिमाना, सूर्य चन्द्रमा का उदित एवं अस्त होना, पक्षियों का उड़ना, चहचहाना उन्हें आनन्दित  करता है।  कहानी बाल साहित्य की लोकप्रिय विधा है।  बच्चे सहज ही कहानी से तादात्म्य स्थापित कर लेते है।  इसका एक कारण  यह भी है की कहानी न केवल बालको की जिज्ञासा को शांत करती है।
कहानी में अन्तर्निहित तत्व , रोचकता , सहजता , कौतुहल , प्रेरणा तथा रसात्मकता बच्चे की मानसिक क्षुधा को शांत करती है।    यह तथ्य बड़ा ही मनोवैज्ञानिक है की जिन बालको के कौतुहल को तृप्ति नहीं मिलती वे स्वाभाव से चिड़चिड़े  हो जाते  है।  , उनके मन में संकोच कूट कूट कर भर  जाता है।  यह बच्चों के सर्वांगीण विकास में अवरोधक तत्व है जिसका निदान कहानी द्वारा ही संभव है।

सवाल है की बच्चों के लिए लिखा जाने वाला साहित्य उनके  लिए कितना ग्राह्य है क्योंकि बच्चों के लिए लिखना आसान नहीं होता , उसके लिए स्वयं भी बच्चा बनना पड़ता है। अपने देश में बच्चों के लिए लिखने वालों की संख्या बहुत कम है क्योंकि बालमन की कोमलता , निश्छलता , सोच और कल्पनाओं तक अपनी पहुँच बनाना अत्यंत ही दुष्कर होता है।

बच्चों में पढ़ने के प्रति बहुत अधिक अभिरुचि पाई जाती है।  उन्हें मनपसंद पाठ्य सामग्री मिले  तो वे उसके साथ घंटो जुड़े रहते है।  वे अपने सारे काम काज छोड़ कर इन कहानियों को पढ़ने में ऐसे जुटे रहते है जैसे उन्ही में उनकी दुनिया बसी हो।  पर वर्तमान परिवेश में सोशल नेटवर्किंग के इस दौर में इस स्तिथि में थोड़ा बदलाव आ रहा है।
अतः इस समय बाल कहानीकारों और लेखकों को दायित्व बढ़ गया है कि  बच्चों में पढ़ने पढ़ाने  के प्रति रूचि को बनाये रखे।  क्योंकि बच्चों के लिए जो लिखा जा रहा है उसके लिए अच्छे प्रकाशकों की भी जरुरत है। उन्हें उदारता से बाल लेखकों और साहित्यकारों  को प्रोत्साहित करना चाहिए।  साथ ही  बाल साहित्य को बच्चों तक पहुंचाने  की भी सुचारु व्यवस्था करनी चाहिए।  यदि नगरों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी पुस्तकालयों  के माध्यम से बच्चों को पठनीय पुस्तके उपलब्ध करने  की व्यवस्था की जाये।

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