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कैंसर का भूत रिर्टन

sach mano to
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एक खबर ने चौंका दिया। सौदागर से फिल्मी दुनिया की नामचीन हस्ती बनीं और लंबे अंतराल तक सिनेमा उद्योग को सर्वश्रेष्ठ देने के बाद…कुछ पल, निजी जिंदगी के लिए कुछ विराम… और फिर हालिया राम गोपाल वर्मा की भूत रिर्टन से दोबारा अपनी अभिनय प्रतिभा का कायल बनाने उतरी मशहूर अदाकारा, एक नायाब हस्ती मनीषा कोइराला अब निजी, खुद की नफस से कैंसर को मात देने जूझ, लड़ रही हैं। उम्मीद ही नहीं, विश्वास, एक अटूट संकल्पित इरादों के साथ कि कैंसर को परास्त कर वह सकुशल फिर से नयी जिंदगी में तरोताजा होकर वापसी करेंगी बिल्कुल, एक विजेता के मानिंद। मनीषा की पारिवारिक पृष्ठभूमि। उनका मुल्क। जहां से वह हमारे बीच आई हैं। हमारे देश के हर वर्ग, हर कोने से बाबस्त हैं। नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान से जितनी भी अभिनेत्रियां भारतीय फिल्म उद्योग को जिया है उनमें मनीषा की सादगी, एक बेहतर चारित्रिक सोच, सिनेमाई कुसंस्कति के खिलाफ, खुलापन से काफी दूर रहा है। वह उन हस्तियों, अभिनेत्रियों में कभी भी शुमार नहीं रहीं जिन्होंने अभिनय के इतर किसी और चीजों को बेजा इस्तेमाल किया हो, प्राथमिकता दीं हो या उसे ही कैरियर का मोनोग्राम बना लिया हो। सिनेमाई देह विमर्श जहां से शुरु होती है, मनीषा वहीं से पीछे, अंतिम पायदान, छोर, कतार के कोने में खड़ी रही हैं, मिलती हैं। फिल्म ही नहीं निजी जिंदगी में कुछ फलसफा को छोड़ उनका चेहरा सबसे अलग एक विस्तृत फलक पर ही रहा है। सोशल मीडिया से जुडऩे के बाद मैंने कई पोस्ट लिखे। अनगिनत प्रतिक्रियाएं आयीं। वह सब, हर शख्स मेरे लिए खास हैं। मगर, एक प्रतिक्रिया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी, मैं देखकर आश्चर्य में पड़ गया। वह और नहीं इसी हस्ती की एक निशानी थी, है। मेरे हालिया पोस्ट खाली पेट दुष्कर्म पर मनीषा कोइराला ने जो लिखा उसे आप सबसे शेयर कर यही आग्रह, निवेदन कि इस भयावह बीमारी जो समाज को खोखला, तोड़, परिवार को उजाड़ रहा है, उसके खिलाफ नस्तर उठाएं। बिहार का एक गांव है पघारी। यहां कई जानें इस बीमारी ने अब तक लील लिए। यह क्रम आज भी जारी है। उसकी याद से ही कांप जाती है मौत भी। जहां हर साल, साल-दर-साल वहां के हर परिवार में कोई न कोई कैंसर से अकाल नींद में सो जा रहा है। क्या नौजवान, क्या बूढ़े। वहां साल दर्जनों लोग मर चुके हैं। कई मौत के करीब हैं। ऊपर से गरीबी। पेट भरने के लिए रोटी नहीं, तन के आवरण को वस्त्र नहीं और शरीर में कैंसर का जहर, जो मौत को आग दे रहा है। यह सिलसिला बदस्तूर अब भी जारी है। प्रशासन, सत्ता, स्वास्थ्य विभाग की नींद में ओझल। उन सबके लिए पूरे देश के लिए जिस ताकत के साथ युवराज की चाहत में हम खड़े दिखे, कैंसर के खिलाफ जंग में शामिल होइए। फिलवक्त, हाथ दुआ के लिए उठाइए-मनीषा के लिए। कैंसर का जो भूत रिर्टन हो रहा है बार-बार उसके खात्मे के लिए एक संघर्ष, अभियान में जोर लगाइए। मेरे पोस्ट खाली पेट दुष्कर्म पर
Manisha Koirala I completely agree to ur point Mr Manoranjan.This shud be a Mass communication to awaken ppl who are neglecting the live’s of innocent girls.
। ऐसे में, महिला अधिकार के लिए लड़ती दिखती, जूझती मनीषा जिंदगी से जंग जीतकर नए साल में और कई सुपर-डुपर फिल्में देंगी यही कामना, विश्वास व ऊपर वाले हाफिज से मन्नौती भी।

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