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टच स्क्रीन पत्नी

sach mano to
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बंद आंखें भी बोले इससे ठंडा और कुछ भी नहीं पत्नी, पत्नी सिर्फ पत्नी। महज 92 फीसदी हमारी, 8 प्रतिशत पराई। कब्ज, एसिडिटी, गैस, बदहजमी दूर भगाए, रखे हमेशा ठंडा-ठंडा कूल-कूल। एक अदद फुल क्रीम, काजू, पिस्ता, बादाम व बटर से युक्त पत्नी जो दे सरदर्द, तनाव, अनिंद्रा, थकान से राहत। कुदरती, जबर्दस्त ताजगी का
कराए एहसास। नौ दुलर्भ जड़ी-बुटियों से भरपूर, पोषित, सुंदर, टिकाऊ, दमदार हमारी पत्नियां बिल्कुल टच स्क्रीन टाइप हमें कितनी सुकून, आराम, चिकचिक से दूर शांति का स्पर्श करा रही हैं। बस, टच, छू लो ना कि बोल पड़ती है आह, मुस्कुरा उठती है उसकी हर अंग। आश्चर्य, अब तो हमारी हमसफर झटके भी नहीं मारती। खुशामदीन एकदम चकचक सीएफएल बल्ब के मानिंद झकास सफेद। घर पर बैठे-बैठे आराम से अब फिल्मों का फ्री टू एयर
चैनल का मजा पत्नी के आकर्षक 27 इंच स्लीम, डिजिटल फेस पर लीजिए और प्रोडक्ट डेमो जाकर पड़ोस में बक दीजिए। धो डालिए घर के तमाम दाग-धब्बे। बताइये, पत्नी का मतलब खाने की बचत, मेंटनेंस की सुविधा, लागत कम, बेचने-खरीदने की कोई झंझट, किचकिच नहीं। एक बार घर ले आओ आराम से जियो। बस, रुके, बाधित शारीरिक विकास की अचूक असरकारी हर्बल दवा पत्नी कैप्सूल नियमित इस्तेमाल करते रहें। सुबह-शाम नाश्ते के बाद, खाली पेट, किसी भी वक्त बिना किसी साइड इफेक्ट के जो दे आपको हेल्दी व फिट बॉडी। बस खाए जाओ, खाए जाओ पत्नी के गुण गाए जाओ। युवा वर्ग इस पत्नी कैप्सूल को तीन हफ्ते तक आजमाएं और फर्क देखें।
फायदा नहीं होने पर माल वापसी की गारंटी, बस शर्ते लागू। हां, एक बात स्वास्थ्य समिति की ओर से जनहित में ध्यान रखें, पत्नी टच स्क्रीन है, कृपया हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोने के बाद ही इस्तेमाल करें इससे बहुत सी बीमारियों से बच सकेंगे आप।
मेरा नाम सोहन है। मुरलीगंज में रहता हूं। पिछले दो-तीन सालों से शादी करने की तीव्र इच्छा हो रही है। बचपन से ही मुझे लम्बे, खुले विचारों वाली सुशिक्षित हाउस वाइफ की तलाश है। मां-बाप को अपनी पसंद भी बता चुका हूं पर कोई लड़की नहीं मिल रही। कोई मिले तो बताएं, कारण इस बीच जो हालात मेरे पड़ोस में है उससे मैं डरता जा रहा हूं। मेरे ख्याल हर रोज बदलते जा रहे हैं। पड़ोस में जो पति-पत्नी एकदम बेस्ट, टंच, मस्त
दिख रहे थे उनके घरों से आजकल तीखे संवाद, बर्तन पटकने, टीवी टूटने, तरह-तरह की चिल्लाने की आवाजें डरा, सुनाई पडऩे लगी हैं। एक मेरे खास परिचित ने अब पत्नी को साथ नहीं रखने का भी पूरा मन बना लिया है।
ऐसे में मैंने आयुर्वेदिक डॉक्टर से भी सलाह ली है। डॉक्टर ने पत्नी रखने के दो महीने का कोर्स कराया है। आज जाकर रोमांचक परिणाम मिले हैं। अब आप बिल्कुल चिंता ना करें मुझे भरोसे की एकदम चोखा पत्नी मिल गई है और घर की खेती भी लहलहा रही है, धन्यवाद।
वैसे, पत्नियों को लोकप्रिय बनाने की जो नई पहल शुरु हुई है। इससे हमारी हमसफर श्रीमतीजी नए तेवर, नए कलेवर, डिजाइन में दिखेंगी। वहीं नवागंतुक महिला सशक्तीकरण की रंगत से पुरुषों की त्वचा रुखी, बेजान काले पडऩे लगी हैं। छाइयों से इनका दिमाग फ्यूज हो रहा है। वैक्स कराने से पहले एस्ट्रिंजेट लोशन अप्लाइ कर भी पतिदेव उम्र से पहले बूढ़ा, दुबला रहे हैं। वे उभारों में कठोरता की कमी व शक्ति में क्षय महसूसने से अचूक जैल की तलाश में हैं। ऐसे में पत्नी की आशिकी में जीने-मरने वाले, इतराते पुरुषों की पंगत भी खाली, उदास है। अरे, प्रकृति की अनुपम भेंट, उपहार व खूबसूरत नायाब तोहफा पत्नी ही तो है। इसी सोच, जरूरत व
चाहत में शुमार जवान पुरुषिया जिस्म तडफ़रा उठते हैं। एक अदद पत्नी की तमन्ना पाले युवा वर्ग ख्वाब बुनने, सजोनें से बाज नहीं आते। लड़की देखी नहीं कि मुंह से सीटी व हाथ से ताली बजने लगती है। साफ है,
कामकाजी, निठल्ला या फिर मजदूरवर्गीय पुरुष ही जान-समझ सकता है, पत्नी क्या चीज होती है। इसकी दरकार
किस रुप में कहां-कहां पड़ती है। शायद यही वजह है, हर नफस में दखलअंदाजी पसंद करने वाला
मर्दानगी आज हलकान, परेशान है। पत्नियों का स्वरूप, अंदाज, पारिवारिक तारतम्य, तानेबाने, उसका चलन, जिस तरीके से बदला, बदलाव के दौर में है। वो सामाजिक, घरेलू रिश्ते, समीकरणों को जरूर मोड़ देंगे। कई घर टूटेंगे, बसने से पहले ही उजड़ जाएंगें। पहले, हाल तक, बीती रात तक आपसी सामंजस्य में पति-पत्नी के डोर जिस प्यार, मर्यादा, विश्वास के ईद-गिर्द नाचते, झूमते, गाते मिले थे जिस रिश्तों की गांठ को कंडोम के बूते खोलते, साफ करते वे नहीं थकते थे उस रूकावट में अब कानूनी पचड़ा बीच में है। इसने दांपत्य जीवन में कंक्रीट दीवारें खड़ा करने की नींव दे डाली है। सरकार, केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय ने अविश्वसनीय किन्तु सच साल के अंत में आकर सबसे बड़ा ऑफर वो भी बिना किसी डाउन पेमेंट के पत्नियों को सुना गया है। इस नई सोच से सुडौल नारी तन की सुंदरता और भी निखर गई है। घर, मन को और अधिक ताकतवर बनाने की इच्छा पाले अद्भुत पत्नियां आत्मविश्वास के लिए बॉडी टोनर, जैल व कैप्सूल थाम कर खुश, बुलंद हो गई हैं। इसके तहत पत्नियों को पति की सैलरी में सीधा नामांकन, बिना किसी योग्यता, प्रशिक्षण के ऑन लाइन आवेदन किए बगैर सेंध लगाने की इजाजत मिल गई है। पत्नी को अब प्यार व सम्मान नहीं पगार
चाहिए। वो भी बैंक में खाता खुलवाकर हर महीने, सैलरी का बीस प्रतिशत। इसमें मजदूरनी से लेकर टॉप कंपनियों में काम करने वाली स्त्रीत्व शामिल हैं।
मतलब, मंशा साफ। रिश्ते दबाव में रहेंगे। खिलखिलाहट के बीच खामोशी बोलने लगेगी। तमाम प्रश्न सामने खड़े हो जाएंगे, हैं भी आगे। क्या आज के पति गैर जिम्मेदार हो गए, जिम्मेदारियों का पूरा अहसास नहीं हो पाया उन्हें। क्या आज भी अधिकांश घरों में पत्नी ही पति की तनख्वाह की मालकिन नहीं हैं। क्या कोई पति अपनी पत्नी की
कामों की कीमत, जिस नौ दुलर्भ गुणों से वह भरपूर है क्या पगार देकर भी चूका सकेंगे या पत्नी भी उसी सम्मान
की हकदार रह पाएंगी जिसके सामने पुरुष समाज आज नंगा खड़ा है। या फिर उनकी मानसिकता कुछ टटोलती, नतमस्तक है। ऐसे में एक पत्नी व नौकरानी में फर्क ढूंढ़ते रह जाओगे। क्या हालात, शरीर का धर्षण कोई और
संबंध नहीं तलाशेंगे। डर है, कानूनी प्रस्ताव पुरुषवर्गीय नजरिया को कहीं बदलने को विवश ना कर दे। प्रतिमाह औसतन 90 फीसदी से अधिक पुरुष अपनी सैलरी पत्नी के हाथों में रखते रहे हैं, आ रहे हैं। पत्नी से मांगकर जेब खर्च भी चलाते हैं, हिसाब भी रखते और देते हैं। जोरु के गुलामों का पहले से ही दिल जल रहा है। इस समर्पण, समझ के बाद भी अगर पत्नियों को हिस्से की दरकार, जरूरत है तो वह बिना कानून के पास हुए ही पूरी कीमत वसूल करे मगर संभलकर … दगा नहीं करेंगे सनम।

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