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राजुल की परीक्षा समाप्त हुए अभी कुछ ही समय हुआ है। घर पर बैठे-बैठे बोर होने पर उसे लगता है इससे अच्छा तो स्कूल जाना ही था। कम से कम दोस्तों के साथ समय तो बीत जाता था। अब तो खिलौनों के साथ दो-तीन घंटे खेलकर भी बोरियत होती है।
मम्मी भी राजुल के व्यवहार से परेशान हैं, क्योंकि कालोनी में उसकी बराबरी का कोई बच्चा भी नहीं है। इसलिए अब उन्होंने राजुल को समर क्लास में भेजने का निश्चय किया है ताकि वह खुश रहे। इससे एक ओर राजुल जहां नए दोस्तों और अपनी रुचि के अनुसार किए गए कामों से खुश है वहीं उनकी मम्मी भी राजुल द्वारा चीजें सीखने की खुशी से फूली नहीं समा रही हैं।
बच्चों की परीक्षाएं समाप्त होते ही वह घर में रहते हुए बोर होने लगते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता कि क्या करें? माता-पिता भी यही सोचते रहते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि छुट्टिïयां बीत जाएं और बच्चे कुछ सीख न पाएं।। वास्तव में छुट्टिïयों का समय ऐसा होता है जब बच्चों के सिर पर पढ़ाई का बोझ नहीं होता, लेकिन आज प्रतियोगिता के कड़े दौर में कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जो छोटे बच्चों को छुट्टियों में भी ट्ïयूशन लगवा देते हैं, जिस कारण बच्चे छुट्टिïयां एंज्वाय नहीं कर पाते।
यह एक गलत तरीका है। छुट्टिïयों का समय बच्चों का अपना समय होना चाहिए। इस दौरान वह भी कुछ ऐसा सीख सकें, जो वर्ष भर पढ़ाई के कारण नहीं सीख पाए। जैसे म्यूजिक क्लास जाना, पेंटिंग सीखना, अपने मनपसंद खेल खेलना आदि। इससे उनका व्यक्तित्व विकास होगा।
आज कल शहर में ढेरों ऐसी संस्थाएं हैं जो बच्चों के लिए समर क्लासेस चलाती हैं, लेकिन आप बिना सोचे समझे या बच्चे की रुचि पहचाने बिना उन्हें ऐसी क्लासेस मत ज्वाइन कराएं। यदि आप का बच्चा संगीत का शौकीन है और आप उसे पेंटिंग की क्लास ज्वाइन करा रही हैं तो व्यर्थ है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि गर्मी की छुट्टिïयों में बच्चों को समर क्लास ज्वाइन कराना चाहिए लेकिन उनकी रुचि को ख्याल करते हुए।
यह समय मनोरंजन के साथ कुछ सीखने का भी होता है इसलिए बच्चे को राइटिंग क्लास भी ज्वाइन कराई जा सकती है। जिसका सदुपयोग करने के लिए उनकी रुचि के अनुसार स्केटिंग, स्वीमिंग, जूडो-कराटे जैसी कई गतिविधियों में भेजा जा सकता है। इससे आपके बच्चे का मनोरंजन तो होगा ही जीवन में कुछ सीखने व करने की सकारात्मक सोच का विकास भी होगा।
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