KALAM KA KAMAL
- 161 Posts
- 978 Comments
न जाने-जमाने को लगी कौन सी ऐसी हवा है,
क्यों अब किसी के लिये कोई भी नहीं सगा है .
..
न बदली में वो छटा है न हवा में वो सबा है .
न परवाने में वो दम है न शम्मा में वो फन है.
..
मन में कोई ज़ुबां में कोई फरियाद में कोई और है,
ख्वाब नहीं, हक़ीकत है यह, बस राज़ की बात है .
..
न शानो – शुबा माँ के ममता भरे आँचल की .
न बागवां – चमन का न आबो हवा वतन की .
..
न रौनक़ महफिलों में न मंज़िल मेहनतकशों की,
न जाने कौन ढूँढ़ेगा कोई दवा इस बदले ज़माने की !
..
Read Comments