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आज एक बार हम सभी को पुन: “नवोदय भारत” को स्थापित करना होगा .और इस के बारे में मेरे विचार से यदि हम सभी प्रत्येक रूप से निम्नलिखत बातों पर ध्यान दें ; सुधार करें और ये हर घर से होना चाहिये । बिना लापरवाही किये एकदम अनुशासनिक ढंग से – तभी एक बार पुन: सुंदर नये रूप में “ अपना भारत देश “ दुनिया “ में नज़र आयेगा . क्योंकि जब देश के हर घर में सभ्यता संस्क्रति नैतिकता भरी होगी ( जो वर्तमान में शायद विलुप्त सी हो गयी है) तो सर्वत: सुखमय वतावरण होगा .जो एक सुव्यवस्थित देश के लिये उपयुक्त होता है .जिस देश के सभी लोग सुखी हों उस देश का क्या कहना !
वैसे सभी के अपने-अपने विचार होंगे; किंतु यहाँ पर मुझको अपने विचारों को लिखना है ; जिन्हे मैं आगे लिख रही हूँ –
1 सर्वप्रथम हर व्यक्ति हर पल यह याद रखे कि यह घर संसार अपनी काया तक खुद की सत्ता नहीं है; सब उस परमेश्वर की ही है ; अत:इस शाश्वत सत्य को सदा स्मरण रखें और स्वयं को सर्वकर्ता धर्ता ना समझे .
2 हर घर में बड़े बुज़ुर्गों को आदर , मां बहन बेटियों तथा बहू को प्यार सम्मान और सुरक्षा दी जाय एवम छोटों को स्नेह .
3 नफरत हिंसा स्वार्थ और स्वामित्व का त्याग करें .
4 अपनी भारतीय वैदिक संस्कृति की पुन: स्थापना करनी चाहिये ; क्योंकि उसमे देश और देशवासियों की उच्चत्तम व्यवस्था वर्णित है .
5 यदि हर घर में हम सभी इस नेक शुरुवात को अपने बच्चो से शुरू करें उनको हर प्रकार की उच्चत्तम शिक्षा , नैतिक, धार्मिक और चारित्रिक शिक्षा दें ; तो निश्चित रूप से वे आगे भविष्य में एक नैतिक -धार्मिक और चारित्रिक जिम्मेदार व्यक्तित्व के मालिक बनेंगे जो एक “ सुंदर सुव्यवस्थित देश “ के लिये अत्यंत आवष्यक है .
6 हर व्यक्ति (पुरुष /स्त्री ) हर प्रकार के दुषकर्मों से स्वयम को बचाये .क्योंकि ऊपर वाले के यहाँ देर तो हो सकती है पर अंधेर नहीं ; अत: उसके कोप से भयभीत रहें और सन्मार्ग की ओर अग्रसर बने . किसी को किसी भी प्रकार के कष्ट हानि ना पहुंचायें क्योंकि हर प्राणी में उसका अंश होता है इसलिये .
7 हम बड़ों को भी चाहिये कि कभी भी किसी भी कीमत में अपने छोटों के सामने शर्मनाक उदाहरण ना पेश कर सकें .
8 यह तो हुई बात कि आगे आने वाले समय में हम अपने कैसे नई नई शुरुवात करें .
9 परंतु अभी वर्तमान में कैसे देश की स्थिति तुरंत ठीक हो, इसके लिये हर इक घर से उन नौजवानों को न्याय संगत सत्य और सन्मार्ग में अविलम्ब आगे बढना चाहिये.और देश के उन हर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ खड़े हों, तभी “ भारत का नवोदय हो सकेगा “ क्योंकि जितनी ताक़त हौसला उर्ज़ा युवा पीढ़ी में होती है- उतनी शायद और किसी में नहीं .. इस बात के लिये इतिहास साक्ष्य है .
अत: मेरे विचार से उपर्युक्त प्रयास “नव भारत के निर्माण”में सहायक हो सकतें हैं !
शुभकामनाओं के साथ ….
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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