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जागरण जंक्शन के सभी आदरणीय एवम प्रिय मित्र भाई – बंधुओं को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !
प्रत्येक त्यौहार हर वर्ष आता है या कहें कि मनाया जाता है ,क्यों? …क्यों? वही पर्व हर बार हम मनाते हैं ?…. या मनाना पसंद करते हैं ? और सच कहें तो बड़ी बेसब्री से इंतज़ार भी करते हैं . पर क्यों ..? सारे क्यों का जवाब मेरे विचार से – शायद …यह कि हम बहुत जल्दी नीरसता महसूस करने लगते हैं .हमें हमेशा कुछ ऐसा चाहिये होता है जिससे जीवन में रस आये. जोश बढ़े . आनंद हो. हमारा जीवन नीरसता से दूर हो ;सरसता से भरपूर हो. इसीलिये पर्वों की पुनरावृत्ति होती रहती है. क्युंकि हर पर्व प्रेम सौहार्द्य और हर्षोल्लास से भरा होता है.पर्वों से जीवन में नया रंग आता है .
जिस प्रकार घर पे किसी प्रिय व्यक्ति या मेहमान के आने से हमारे अंदर उमंग ,स्फूर्ति जाग्रत हो जाती है. उसके स्वागत को आतुर हो एक खुशी… का अहसास होता है.
यह खुशी जीवन में बहुत महत्व रखती है. मानो ….जीवन जीवंत हो जाता है.
हम खुश हों तो स्वस्थ रहते हैं . हम स्वस्थ तो हमारा परिवार स्वस्थ और खुशहाल . हमारे सामाजिक सम्बंध भी मधुर रहते हैं. अर्थात सब कुछ व्यवस्थित हो जाता है . जो समाजिक जीवन के लिये बहुत आवश्यक होता है.
” भारतीय संस्कृति के पर्व सारे
विभिन्न रंग – रूप वाले हैं
परस्पर के सब भेद मिटा के
भाई-चारा बढ़ाने वाले हैं “
शायद इसी लिये हमारे पूर्वजों ने…बुज़ुर्गों ने दूरदृष्टि से काम लिया और नाना प्रकार के पर्व बनाये . हाँ आज समयानुसार उनमें कुछ परिवर्तन अथवा नवीनीकरण अवश्य दिखायी देता है.परंतु परम्परा में कोई कमी नहीं….बल्कि बढ़ोत्तरी ही देखी जा रही है.अनेक नये पर्वों की संख्या जुड़ गयी है उद्देश्य एक ही कि -सभी के जीवन में आनंद बना रहे .
मनुष्य एक समाजिक प्राणी है. वह कभी तन्हा..अकेला ..नहीं रह सकता .सम्भवत: कोई भी बिना प्रेम के जी नहीं सकता है. इसीलिये कोई ना कोई कारण …बहाना चाहिये होता है जिससे कि जीवन में खुशी आये. आपस में लोगों से मेल-मिलाप बढ़े सौहार्द्यता बढ़े . जीवन आनंदित हो सके .
जीवन की हर परेशानियों को बिसरा सके . आपस में हुई किसी की भूल – चूक को भूल कर पुन: गले मिल सकें. पुन: नये मधुर सम्बंध बन सकें . त्रुटियां तो सभी से होती हैं .कोई भी व्यक्ति पूर्णत: दक्ष नहीं होता है. सभी में कोई ना कोई कमी होती है. ये त्यौहार सम्बंधों में आयी कटुता को दूर करने का माध्यम होता है साथ ही मधुरता बढ़ाने का भी माध्यम बनता है
ऐसी अनेक तमाम बातें ……
कहने का तत्पर्य सिर्फ इतना कि…जब तक जीवन है हर्षोल्लसित रहना चाहिये .अकेले नहीं बल्कि सबके संग मिल-जुल कर जीवन का आनंद लिया जाना चाहिये.
हर बुराई से ऊपर उठ कर अच्छाईयों को अपनाना चाहिये .
होली का पर्व भी एक ऐसा पर्व है जो परस्पर प्रेम और भाईचारा बढ़ाने वाला है .
कुछ पंक्तियाँ …….
रंगीली होली आती है
जीवन में खुशियाँ भरती है .
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घर बाहर का सारा कचरा
‘होलिका’ दहन कर देती है
पर्यावरण को शुद्ध कर के
सुगन्धित वातावरण करती है
रंगीली होली आती है
जीवन में खुशियाँ भरती है .
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मन का मैल मिटा कर के
प्रेम का भाव जगा देती है
दिल से दिल मिला कर के
सबको गले मिलाती है
रंगीली होली आती है
जीवन में खुशियाँ भरती है
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रंग जीवन में भर के नये
उमंग से भरपूर कर देती है
उजड़े हुए चमन को फिर से
कुसमित कर महकाती है
रंगीली होली आती है
जीवन में खुशियाँ भरती है
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पुन: सभी को “रंगों के पर्व होली” की बहुत – बहुत शुभकामनायें !
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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