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“वेश्यावृत्ति” Jagran Junction Forum

KALAM KA KAMAL
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वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता-सही या गलत ?

सर्वप्रथम अब न मुग़लों का शासन रहा न अंग्रेजों का .अब न ज़मींदारों का रौब रहा न डाकुओं का आतंक.अर्थात इस प्रकार की कोई बेड़ियाँ अब नहीं रहीं हैं . हर एक व्यक्ति – स्त्री हो या पुरुष किसी भी जाति-वर्ग-समूह का हो ; पढ़-लिख कर समाज में “मुँह दिखाने ” मतलब गर्व से सर ऊंचा करने वाला काम रोजगार / व्यवसाय कर सकता है ; उसको ” मुँह छिपाने ” जैसा कोई काम नहीं करना पड़ेगा .हमारे देश में जहाँ स्त्रियों को ” देवी” के विभिन्न रूपों में देखने का चलन है – जैसे उनको बाल्यावस्था से ही ” कन्या ” “लक्ष्मी” ” अन्नपूर्णा ” इत्यादि नामों से मानतें .. पूजतें हैं ; तो फिर आज उन्हीं के लिए … कैसी क्षुद्र सोच ..कैसी मैली छवि बनानें जा रहें हैं ..? क्या दर्ज़ा देने का प्रयास कर रहें हैं…?
पाठ्यक्रमों तक में तो परिवर्तन कर दिया ; उन सभी बातों को , उन चरित्रों को और ऐसे ‘ विशेष ‘ ( दुष्प्रभाव ) डालने वाले करीब-करीब सभी कारकों को तो हटा दिया और भविष्य में भी हटायेंगे ; क्योंकि आज उनका कुप्रभाव न पड़े .आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं.अथवा आज उन मूल्यों का कोई अर्थ नहीं इत्यादि-इत्यादि तब ” वेश्यावृत्ति ” जैसे चलन को क्यों नहीं ख़त्म / हटाया जा सकता …? “…क्यों..?.. “सतीप्रथा” बंद हो सकती है तो “वेश्यावृत्ति” क्यों नहीं बंद हो सकती ..? हाँ , प्रयत्न में दम होना चाहिए..
” सेक्सकर्मियों को इज्जत के साथ अपना पेशा चलने वाली बात ” आश्चर्यजनक लगती है कि- ” सेक्सकर्मी और इज्जत ” इस बेइज्जत वाले पेशे को यदि इज्जत वाले पेशे से तुलना की गई तो इज्जतदार वाले पेशे को क्या नाम देंगें..?
” वेश्यावृत्ति ” को सही मानना एक प्रकार से उसे बढ़ावा देना होगा जो निःसंदेह अनुचित है; गलत है;- जन – समाज और देश सभी के लिए .
” वेश्यावृत्ति ” को सही या वैधता देने का तात्पर्य इस पेशे को प्रोत्साहन देना और बढ़ोत्तरी करना होगा .और कुत्सित मानसिकता वाले स्त्री – पुरुष दोनों में भी बढ़ोत्तरी होना स्वाभाविक होगा .जिससे हर प्रकार से कितना पतन होगा ..? कोई कल्पना नहीं कर सकता….?
पढना – लिखना और परिश्रम करके कुछ हासिल करना सचमुच एक कठिन कार्य है और फिर मनचाही रकम ऐशो आराम मिल पाना …और भी दुष्कर है…अतः वर्तमान में ” वेश्यावृत्ति ” कुछ विशेष स्त्रियों द्वारा स्वीकृत मनोरंजन अथवा मौजमस्ती का मुख्या धंधा बन चूका है और शायद धन – दौलत ऐशों आराम की चाहत में वे इस ” पेशे ” में बहूत खुश हैं ..और इसीलिए वे मांग कर रहीं हैं की ” वेश्यावृत्ति ” को कानूनी वैधता मिल जाये ; ताकि वे खुलकर सामने आ जाएँ . इस पेशे में इनको न कोई शर्म है न दुःख . हाँ उन बेचारियों के ऊपर तरस आता है ; जिनको जबरन इसमें गिरफ़्त किया जाता है .या ऐसी ही किसी हस्ती की शिकार हुईं हैं .
मेरे विचार से उच्चतम न्यायलय …मानवाधिकार तथा अन्य जो भी संगठन ” वेश्यावृत्ति ” के बारे में कोई महत्वपूर्ण क़दम उठाना चाहतें हैं – तो वे (अ) ” वेश्यावृत्ति ” को कानूनी अपराध के अंतर्गत रखें – अवैध घोषित करें .( ब ) “वेश्यावृत्ति ” के ख़िलाफ़ कठोर दंड व्यवस्था निश्चित करें . (स) पीड़ित -दुखी मजबूर सेक्सकर्मियों को सरकार की ओर से उन्हें आर्थिक मदद , रहने के लिए होस्टल / आवास के साथ शिक्षा एवं रोजगार उपलब्ध कराएँ जाये ;जिससे वो अपना खोया सम्मान पुनः प्राप्त कर सकें और बेहतर जीवन जी सकें .
‘ कुछ दिन पहले समाचार में कहीं पढ़ा था कि एक सेक्स कर्मी की बेटी ने पढ़-लिख कर समाज में सम्मान पूर्वक स्थिति प्राप्त कर ली है .’
अंत में यही कहना चाहूँगी कि – वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता देना गलत है अन्य देशों की भेड़- चाल में न शामिल होकर ; गरिमामयी श्रेष्ठ निर्णय ले कर पूरी दुनियां ( विश्व में ) एक ” पहचान ” बनाये . ” भारत महान ” है तो इसकी महानता भी प्रदर्शित होती रहनी चाहिए .


मीनाक्षी श्रीवास्तव

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