Menu
blogid : 23463 postid : 1193922

चमचागिरी या चापलूसी

SAITUNIK
SAITUNIK
  • 52 Posts
  • 52 Comments

चमचागिरी या चापलूसी कहाँ से शुरू होती है हमने कभी ध्यान नहीं दिया परन्तु इस चमचागिरी रूपी बीमारी का कोई इलाज नहीं कहाँ पाई जाती है ये चमचागिरी और क्यों हमें इसकी जरूरत पड़ती है ? बहुत बड़ा और बहुत गहरा है ये प्रश्न घरों में इसकी मौजूदगी कम ही देखने को मिलती है लेकिन कामकाजी जगहों पर ये अच्छी तरह फलती फूलती है इस चमचागिरी के लिए ज्यादा चीजों की जरूरत नहीं पड़ती केवल आपके पास ढेर सारा मख्खन होना चाहिए जिसका आप हर समय इस्तेमाल कर सकें चमचागिरी करना एक तरह का हुनर है जो सबके बस की बात नहीं इसे सीखने में ,इस क्षेत्र में माहिर होने में कई बार तो बरसों लग जाते हैं अगर आपका बॉस चमचागिरी का शौक रखता हो तो क्या कहने हर कोई उसे मख्खन थोपने में और बॉस को खुश रखने में लग जाता है सर आपके कपड़े बहुत अच्छे हैं सर आपकी घड़ी बहुत सुंदर है सर आज आप बहुत स्मार्ट लग रहे हैं ओ माय गॉड आपका घर कार बच्चे सभी चीजों की तारीफों के पुल बंधने लगते हैं और अगर आपकी बॉस महिला हो तो फिर क्या कहने मैडम आपकी साड़ी आपकी लिपस्टिक नेलपॉलिश सैंडल बाल यहाँ तक की मैडम की हर अदाओं की तारीफ़ की जाती है उफ़ किसी भी तरह इस मख्खनबाजी का कोई अंत नहीं जो लोग इस क्षेत्र में माहिर नहीं होते वे बेचारे अपना सा मुँह लिए बैठे रहते हैं उनकी इज्जत भी बॉस की नजरों में ज्यादा नहीं होती चाहे वह इंसान कितना भी मन लगा कर काम करे समय के पाबन्द मेहनती ये लोग मात खा ही जाते हैं मख्खनबाजी के सामने ! तौबा है इस बीमारी से परन्तु इसके बिना काम भी नहीं बनता क्या करें कुछ समझ नहीं आता इस चमचागिरी रूपी बीमारी को अपनाएँ या इससे तौबा कर लें जमाने के साथ कन्धा से कन्धा ओह मख्खन से मख्खन मिलाएँ या अपने उसूलों पर टिके रहें मैं तो दुविधा में हूँ आप ही इसका कोई हल बताइए ……..
लेखिका – मीता गोयल
meetagoel.in

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh