Menu
blogid : 23463 postid : 1199604

जी हुज़ूर

SAITUNIK
SAITUNIK
  • 52 Posts
  • 52 Comments

इंसान करता है जी हुजूरी जब
इंसान बनता है नतलबी तब
जब काम नहीं बनता उसका
जब दिमाग नहीं चलता उसका
तब मन की कमजोरी को छिपा
करता है वह जी हुज़ूर जी हुज़ूर
चलता नहीं जब बस उसका
अपने किए हुए कर्मों पर
तब चंचल मन उसका कहता है
जी हुज़ूर जी हुज़ूर जी हुज़ूर
घटता नहीं शर्म का स्तर उसका
बढता नहीं कर्म का जज्बा उसका
जब गर्म होता है बॉस का माथा
तब वह कहता और करता है
जी हुज़ूर जी हुज़ूर जी हुज़ूर
कवयित्री – मीता गोयल
meetagoel.in

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh