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इस दोस्ती को मैं क्या नाम दूँ ? मेरे दोस्त
सब कुछ हँसी हँसी में तुम मुझे बता गए
जीवन से लड़ने की शक्ति भी दे गए तुम मुझे
अनजान थी मैं इस रिश्ते की मिठास से ,मेरे दोस्त
रसगुल्ला और जलेबी बनकर तुम तो मुझमें समा गए
दोस्ती की अहमियत को मैंने परखा तुमसे मिलने के बाद
रिश्ते के तारों को जोड़ा था मैंने ,तुमसे मिलने के बाद
नीरस सा था मेरा जीवन बिना तुम्हारे मेरे साथी
दोस्ती की खुशबू छिड़क महका गए मेरे जीवन को तुम
ये साथ हमारा तुम्हारा रहेगा जीवन भर
यह अहसास प्यारा प्यारा गुदगुदाए जीवन भर
हँसी और ठहाकों से तुम तो प्यार की धुन बन गए
मजाक मजाक में ही सही तुम तो बहुत कुछ सिखा गए
मेरे दोस्त कहते हैं कि दोस्ती में no sorry और no thank you
परंतु ये sorry और thank you ही मजबूत करता है हमारी दोस्ती
कोई गिले शिकवे अपने दिल में मत रखना
मेरे साथी हर दुःख और सुख में मुझे याद रखना
तुम्हारी एक आवाज पर दौड़ी चली आऊँगी
तुम्हारे आगाज पर सब कुछ छोड़ आ जाऊँगी
तुम ही हो मेरे सखा ,साथी , हमदर्द और हमजोली
तुम्हारे बिना तो सूनी है ईद , दिवाली और होली
कवयित्री – मीता गोयल
meetagoel.in
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