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शक की सुई जब चलती है दो दिलों के बीच
समेटती जाती है आपस के प्रेम और विशवास को
दे जाती है हाथों में बर्बादी का रोग
ख़त्म हो जाता है दिलों में प्यार का जोश
मिज़ाज़ गर्म हो जाता है जब तुम्हारा मेरे साथिया
प्यार का ये लावा तब पिघल जाता है हाथों से
जीवन हो जाता है बेरंग बेमतलब और नीरस
टूट कर बिखर जाता है मेरे अंदर का धीरज
वो प्यार की बंदिशें जो लगतीं थीं सुहानी
वो शाम जो रंगीन होती थीं हमारी तुम्हारी
शक की दीमक चाट गई उन लम्हों को
घर की बात लाँघ गयी दीवारों को
मलाल तो बस यही है मेरे दिल में आज
जग हँसाई ने कर दिया है मेरा बुरा हाल
शक की सुई ने समेट लिया है धीरे धीरे
हमारे तुम्हारे बीच का ये कीमती और रेशमी तार
तुम पर जो गुजर रही है उसका इल्म है मुझे
मेरी काली रातों का क्या अहसास भी है तुम्हें
अब भी समय है आ जाओ मेरे जीवन साथी
इस नैया को पार लगा दो मेरे हमराही
अब किसी तरह का मलाल न रखना दिल में
बस आ जाओ मेरा ख्याल रखना अपने दिल में
कवयित्री – मीता गोयल
meetagoel.in
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