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सिंदूरी लाल

SAITUNIK
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सबकी आँखें हो रहीं हैं सिंदूरी लाल
लहू के कतरे तैर रहे हैं आँखों में आज
क्रोध की सीमा लाँघ रही है सरहद को आज
बंदूकों के शोर से गूँज रहा है आसमान आज
शहीदों की इस अंतिम यात्रा में शामिल हैं सभी आज
वीरों की जय जयकार से सराबोर है वातावरण आज
औरतें बच्चे बूढ़े सभी हुए हैं गमसार आज
सबकी आँखें हो रहीं हैं सिंदूरी लाल
गली के चप्पे चप्पे में उमड़ रहा है हुजूम
भीगी आँखों से देने विदाई आया है ये जनसमूह
कलेजे को चीर कर रख देने वाली ये जंग है
अपनों को अपनों से दूर कर देने वाली ये जंग है
सिपाही की शहादत को सिर माथे पर रखते हुए
इस वीर की देश भक्ति को नत मस्तक करते हुए
सबकी आँखें हो गईं हैं सिंदूरी लाल
लहू के कतरे तैरते दिख रहे हैं इन आँखों में आज
लहू के कतरे तैरते दिख रहे हैं इन आँखों में आज
कवयित्री – मीता गोयल
meetagoel.in

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