SAITUNIK
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त्रस्त हूँ इस नर्क से
लिप्त हूँ इस फर्क से
तर गया हूँ इस मर्म से
भाग रहा हूँ इस दर्द से
घड़ी घड़ी कहता हूँ
रुक रुक चलता हूँ
ओ समाज के ठेकेदारों
मैं हर पहर मरता हूँ
कृत्य कर तुम छूटते हो
मृत्य कर तुम लूटते हो
ए अमीरी का घमंड करने वालों
हर सीमा को तुम लाँघते हो
कह रही है इन्साफ की पुकार
बन रही है हर इंसान की आवाज
बंद करो बंद करो बंद करो
अपना ये घिनौना कृत्य बंद करो
बेटियों को पुतला मानने वाले
ये ज़िंदा धड़कते दिलों को
खिलौना मानना बंद करो
अपना ये घिनौना कृत्य बंद करो
अपना ये घिनौना कृत्य बंद करो
कवयित्री – मीता गोयल
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