Vinayd
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हरी घास पे कुछ लम्हे तेरे साथ बिताए थे
आंखो को बंद किए तेरे पास में आए थे
कुछ शिकन सी थी मन में कुछ हम अल्साए थे
हरी घास पे….
कभी इस करवट लेटे कभी उस करवट लेटे
कुछ तपिश भी मन में थी कुछ तुमसे तपाए थे
हरी घास पे…
तू शक्ति पुंज से अपने जग को उज्जवल करता
हर ओर प्रकाश तेरा तुझसे अंधकार भी डरता
हे सप्त अश्व रथ ले आने वाले सूर्य प्रभु मेरे
अनमोल से कुछ लम्हे कभी तुझपे लुटाए थे
हरी घास पे…
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