Menu
blogid : 8647 postid : 677191

अब शहर और गलियों में बेशुमार बैठे हैं

साधना के पथ पर
साधना के पथ पर
  • 50 Posts
  • 1407 Comments

 

अब शहर और गलियों में बेशुमार बैठे हैं

तालीम लेकर लोग बेकार बैठे हैं,
घर-घर में लोग बेरोजगार बैठे हैं,
शराफ़त की तन पर ओढ़े हुए चादर,
बड़ी आस लगाए होशियार बैठे हैं.
दूसरों की खबर नहीं अपनी गरज लिए,
अब शहर और गलियों में बेशुमार बैठे हैं,
काफिलो सी आज गुजरी है जिंदगी,
चौखट पे दस्तक दिए हजार बैठे हैं,
कहने को है बहुत पर कैसे कहे कोई,
गर्दन के ऊपर अब तो तलवार बैठे हैं,
एक बात तुमसे कहनी है हमको ‘अलीन’
एक अनार पर हजार बीमार बैठे हैं

……….०६/१२/२००४ अनिल कुमार ‘अलीन’

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply