साधना के पथ पर
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हमारे प्यार का इन्तहा अभी बाकी है,
इसके बाद भी एक और जहाँ बाकी है.
किसको अफ़सोस है यहाँ बिछड़ने का,
जब बिछड़कर मिलना वहां बाकी है.
थमती हुई साँसों से मायूसी कैसी,
धड़कनों के लिए एक और जहाँ बाकी है.
बेशक जिस्म से निकलेगी रूह अपनी,
अभी मरने के लिए एक और जहाँ बाकी है.
…………………...29/12/2013
……………………अनिल कुमार ‘अलीन’
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