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‘मेरी सदा’ आज की परिवेश की ‘एक अधूरी परन्तु सच्ची प्रेम कहानी’ है. जहाँ एक तरफ मानव चाँद पर पहुँच गया है, वही दूसरी तरफ आज भी कुछ लोग अपने घरों से निकलना नहीं चाहतें हैं. यह कहानी है मेरी; ‘अन्जानी और अनिल’ की. जो कभी हम दोनों वादा किये थे एक-दुसरे का साथ निभाने और एक साथ सामाजिक कुरीतिओं से लड़ने का. पर जब अपनों का सामना होता है तो कब हकीकत ख्वाब में तब्दील हो जाता है, यकीं नहीं होता. आज मेरा हमसफर मेरे साथ नहीं पर वो वेवफा भी नहीं, उससे किया हरेक वादा मुझे निभाना है. ताकि आने वाली पीढियां हमारे प्यार को याद करें और याद करें अन्जानी के बलिदान और अनिल की वफ़ा को. ‘मेरी सदा’, एक प्रयास है, ‘अन्जानी’ और ‘अनिल’ जैसे रिश्तों को बचाने की, जो समाज के रुढ़िवादी परम्पराओं की बलि चढ़ जातें हैं या मजबूर होकर मौत को गलें लगाते है. यह मेरे और मुझ जैसे लोगों की जीने की आशा है जिनसे जिंदगी रूठी हुई है. ‘मेरी सदा’, एक एहसास है अपने माता-पिता और समाज को कराने की कि यदि यदि धर्म, भगवान और कानून अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार देते हैं तो इस रिश्तें को पूर्ण करने के लिए आप सबका आशीर्वाद साथ क्यों नहीं. हम भी मानव है और जिनके अपने कुछ भावनाएं और सपने हैं. हमें आपकी नफ़रत नहीं चाहिए और ना ही आपके द्वारा दिया गया मृत्युदंड. हमें अपनी जिन्दगी जीने का अधिकार चाहिए, वो भी आप लोगों के आशीर्वाद के साथ.
बहुत जल्द ही ‘मेरी सदा’, ‘एक अधूरी परन्तु सच्ची प्रेम कहानी’, आपके बीच लेकर आ रहा हूँ. हो सकता है कि यह कहानी आप तक पहुचने से पहले, मैं इस दुनिया में न रहूँ. पर यदि मैं जिन्दा रहा तो मेरी सदा (विचारों, लेखों और गीतों के रूप में) मेरी आवाज बनकर इस जमीं और आसमान पर गुजेंगी. आपसे बस इतना वादा है.
(चित्र गूगल इमेज साभार )
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