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ऐ आदम की औलादों इंसान बनो

साधना के पथ पर
साधना के पथ पर
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ऐ आदम  की औलादों इंसान बनो ,

जिस मातृभूमि पे जन्म लिया,

उसका सम्मान बनों;

प्राणी तो हर प्राणी है, इंसान नहीं है ,

तू भी तो इंसान है कोई शैतान नहीं है;

फिर क्यों तेरे दिमाग में शैतानियत छाई,

जिसने तेरा इंसानियत में आग लगायी.

आखिर कब तक चलेगा ये आपस की लड़ाई,

अब बंद करो खून की होली मेरी भाई;

मत बनो एक दुसरे के खून के प्यासें,

बहुत मिली चुकी मिट्टी में निर्दोषों की लाशें.

एक दुसरे को जानो इंसानियत को पहचानों,

आपस का झगडा छोडो इस मिट्टी की बात मानों;

बहुत हो चूका अब मत कर अपने धर्मों का अपमान,

इंसानियत के लिए बन दो जिश्म वो एक जान .

अल्लाह ने इंसान को इंसान बनाया,

वो तू ही है जो इंसान को शैतान बनाया;

तेरे ही कारन लाखों घर बर्बाद हुआ है

जिससे तू आज शैतान हुआ है.

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