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प्रिय अजय और तुम्हारे उम्र के मेरे सभी अनुज!
आप सभी को शुभाशीष!
अजय, दैनिक जागरण आखबार में तुम्हारा आलेख नहीं छपने पर, तुम्हारे द्वारा प्रस्तुत की गयी विवशता और कमजोरी से बहुत दुखी और आहत हूँ क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे छोटे भाई-बहन किसी के सामने विवश हो. अतः आज का आलेख तुम्हे और तुम जैसे दुनिया के सभी बच्चों को समर्पित करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है. मैं जब कभी ब्लोगिंग के लिए बैठता हूँ, आप लोगों द्वारा की गयी पोस्टिंग पढ़ना नहीं भूलता. आप सभी के प्रोत्साहन के लिए कमेन्ट के साथ रेटिंग करना मेरी आदतों में शुमार हैं. परन्तु मैं देखता हूँ कि आप लोग पढाई-लिखाई छोड़कर हमेशा ब्लोगिंग करते रहते हो. कुछ महीने पहले जब मैं इस मंच पर ब्लोगिंग शुरू किया तो एक कक्षा ८ वीं या ९ वीं की बच्ची ब्लोगिंग किया करती थी. मैं अक्सर उसे प्रोत्साहित करने के साथ उसके कमियों को दर्शाता रहता था ताकि वह बेहतर लिख सके. आजकल वह ब्लोगिंग बंद कर दी है. कारण कुछ भी हो पर कही न कही खुद को दोषी पाता हूँ और साथ ही उसे मिस करता हूँ. हो सकता है कि इस समय वह मेरी यह पोस्टिंग पढ़ रही हो. अजय, चिंकी और मेरे सभी छोटे भाई-बहन; मैं कभी नहीं चाहता कि आप सभी ब्लागिंग बंद कर दो वरन आप सभी अपना अधिक से अधिक समय पढाई पर दो. अजय तुम्हारी सबसे बड़ी कमी यह है कि तुम अपनी बात बड़ों की तरह रखना चाहते हो. तुम अधिकतर उन विषयों का चयन करते हो जो तुम्हारी समझ के बाहर है और इस कोशिश में तुम न ही बड़े बन पाते हो और न ही बच्चे रह जाते हो. ऐसा कुछ नहीं है कि आप बुरा या ख़राब लिखते हो क्योंकि आपकी कई ऐसी पोस्टिंग हैं जो दर्शाती हैं कि आप अपनी उम्र के हिशाब से हम बड़ों से बहुत अच्छे हो. तुम्हारी इच्छा इतनी बड़ी भी नहीं है कि हम सभी इसे पूरा न कर सके. संभवतः आपकी उम्र १०-१५ वर्ष के बीच की होगी. कभी मैं भी आपकी उम्र का था. परन्तु लिखने से ज्यादा चिंतन और मनन को समय देता था और यह आज भी जारी है. ताकि मैं समझ सकू कि क्या गलत है और क्या सही है? मैं भी चाहता था कि मेरे विचार अख़बारों में प्रकाशित हो; नाम और पैसा के लिए नहीं बल्कि उस हकीकत को व्यक्त करने के लिए जिसमे हम जी रहे है. परन्तु उसके प्रभाव को महशुस नहीं कर रहे है. अपने विचारों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुचाने की कोशिश में मैं कई क्षेत्रीय पत्रकारों और लेखकों से मिला. पर उसके लिए मेरे पास पैसे नहीं होते थे कि मैं उनकी मांग पूरी कर सकू. अतः मेरी मदत करने को कोई तैयार नहीं होता था. जो तैयार हुए भी तो वो मेरी कृति को अपना नाम से प्रकाशित कर दिए. इससे मेरा मन बहुत व्यथित हुआ और मेरी नाराजगी मेरे होठों से एक शेर के रूप में निकली. उस समय मैं लगभग १५ वर्ष का रहा हूँगा. वह शेर आप सभी लोगों के साथ शेयर करना चाहूँगा.
कुछ लोग अपना गलत पहचान देते हैं,
कि गैरों के शेरों को अपना नाम देते हैं;
कुछ लोग ऐसे भी है यारों,
जो किसी लायक नहीं,
पर लोग उन्हें इनाम देते हैं.
उसके बाद से लेकर अबतक मैं प्रकाशन को लेकर किसी से विनती अथवा आग्रह नहीं किया. हाँ जबकभी किसी कॉलेज में कुछ कहने को मौका मिला तो अपने विचारों और कृतियों को प्रस्तुत किया और साथ ही छात्रों से लेकर अध्यापक वर्ग तक सभी को प्रभावित किया. आओ कुछ और अपने बारे में तुम्हे बताता हूँ ताकि तुम मुझे लेकर किसी भी प्रकार की गलतफहमी न पालों. मैं कोई कवि या लेखक नहीं हूँ जिसकी कभी कोई आलेख या कृति उसके नाम से प्रकाशित हुई हो. जबकि आज मैं अपने पैरों पर खड़ा हूँ और दो पैसे कमाता हूँ. इसलिए मेरे पास एक लैपटॉप और इन्टरनेट कनेक्शन है जिसके माध्यम से आप लोगों से अपने विचारों और अनुभवों को बाटते हुए, अच्छा लगता है. मुझे खुद के मानव होने का एहसास है और मैं चाहता हूँ कि यह एहसास आप सभी के अन्दर भी हो. मानव जो संसार की सबसे सुन्दर और सर्वश्रेष्ठ कृति हैं जिसे इश्वर ने महत्वकांक्षा, दयालुता, क्षमा और प्रेम जैसे गुणों से अलंकृत करके इस धरती पर भेजा ताकि हम इसे स्वर्ग बना सके. हम इंसानों के पास वह दृढ़इच्छा शक्ति है जिससे भगवान भी वंचित है.अतः हम चाहें तो भगवान बन सकते हैं. पर भगवान कभी इंसान नहीं बन सकता. यदि कुछ बड़ों को लगता है कि मैं कहीं से गलत बोल रहा हूँ तो मैं चाहूँगा कि वह किसी एक उदहारण के साथ मेरी बातों को काटना चाहें.
मेरे प्यारे छोटे भाइयों और बहनों ! यह सारी बातें मैं आप सबसे इसलिए कर रहा हूँ ताकि आप खुद की पहचान कर सको और इस बात का एहसास कर सको कि आप सभी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्राणि की संताने है. आप अपनी शक्ति को सही दिशा में लगाओं ताकि इस संसार को खुबसूरत बनाया जाय बिल्कुल तुम्हारी तरह. आज हरेक चीज का व्यवसायीकरण होता जा रहा हैं और मैं चाहूँगा कि आप सभी इससे वंचित रहों. चलते-चलते मैं अपनी पहली कृति, जिसकी रचना १३ वर्ष की उम्र में किया था, आप लोगों के सामने इस आशा के साथ रखना चाहूँगा कि उसमे छुपे हुए सन्देश आप तक भली भांति पहुँचे.
The Watch
The watch is very important,
Because it has not any contact,
Its needle wanders always;
It may be nights or days.
You will do your work enough,
You succeed in your aim;
If you will ruin your time,
You lose your good life.
The watch is very important,
Because it has not any contact;
It says us something
‘Do you know anything?’
If you will develop your mind,
You bright like a good child;
If you will get up at break of day,
You live always gay.
आप अनुजों को मेरी बातें जो समझ में नहीं आयी हो, कृपया उसे समझने की कोशिश न करें क्योंकि वह हम बड़ों के लिए हैं. आप सभी के लिए वहीँ है जो आपको आसानी से समझ में आ जाएँ और अंत में दैनिक जागरण से विनती करता हूँ कि यदि एक बच्चे की छोटी सी इच्छा पूर्ण करते हैं तो मैं समझता हूँ कि इससे आपका ज्यादा कुछ नुकसान नहीं होगा.
आप सभी का शुभचिंतक
अनिल कुमार ‘अलीन’
( चित्र गूगल इमेज साभार )
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