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मर्द कौन है? मर्दानगी की परिभाषा क्या है? शारीरिक रूप से तो हम सब परिचित है इसकी परिभाषा से. वैसे मानसिक स्तर या आधार पर भी मर्द की परिभाषा औरत से अलग है. वैसे मुझे लगता है ये शब्द बहुचर्चित होने के साथ ही बहुपरिभाषित भी है पर दुर्भाग्यवश इसकी समझ बहुत कम लोगो को है.
नामर्द कौन है? हमारी आपकी भाषा में नामर्द वो लोग है जो संतान सुख से वंचित रह जाते है क्युकी प्रजनन की जो आवश्यकता है उनसे कही न कही या तो वो शारीरिक या कुछ एक केस में मानसिक रूप से कमजोर होते है.
वैसे नामर्दी की कई परिभाषा है. जैसे कोई मर्द किसी नारी पर हाथ उठा देता है तो लोग कहते है वो नामर्द है. देखिये बेचारा मर्द शब्द कैसे पीट गया यहाँ.
कभी कोई मर्द किसी नारी की मर्यादा पर हाथ रखता है फिर लोग ऐसे मनुष्य को नामर्द कहते है. फिर नयी परिभाषा. ऐसे ही कई उदहारण है और कई नयी परिभाषा है इस मर्दानगी और नामर्दी की.
आज कल दो लोग मिडिया में छाये ही रहते है एक तो मैं हमेशा से कहता आ रहा हु बाबा रामदेव और एक अपनी राखी सावंत. बाबा रामदेव पर बातें की है मैंने और आगे भी करूँगा पर राखी की बात न चाह कर भी करनी पड रही है. राखी कई वजहों से मिडिया में छाई रहती है कभी चुम्बन ले कर कभी दे कर पर इन चीजों से मेरा मतलब आज तक नहीं रहा. कल समाचारपत्रों पर नज़र गयी तो पता चला की राखी तो अब कातिल हो गयी है और शीघ्र ही उन पर मुकदमा दर्ज होने वाला है. जिज्ञासु हु और थोडा देशप्रेमी भी सोचा चलो राखी अब अन्दर जाएगी तो शायद मिडिया को कुछ और चीज़े कवर करने का मौका मिलेगा और कोई गंदगी कूड़ेदान में ही ठीक लगती है. खुश होते हुए खबर की तरफ मुखातिब हुआ.
कुछ वाक्य पढ़ा तो मन भड आया, मेरी ख़ुशी काफूर हो गयी. पता चला कोई लक्ष्मण नाम का ‘मर्द’ राखी की भद्दी टिपण्णी से इतना शोक ज़दा हुआ की अन्न जल त्याग कर अंत में मरणासन्न हो गया. क्या थी वो भद्दी टिपण्णी? कौन था ये लक्ष्मण नामक ‘मर्द’.
राखी के पास अपनी शादी शुदा जिन्दगी की नैया जो डूब रही थी उसको पार लागने के उद्देश्य से लक्ष्मण ,पत्नी और परिवार के साथ किसी रियलिटी शो में गया था. वहां जज राखी सावंत है.
ये तो देश का दुर्भाग्य है कि आज युवाओं में शादी जैसी संस्था की कोई अहमियत नहीं है. शादी हो जाये तो तलाक की दर देख लीजिये आपको भी शादी से डर लगने लगेगा. ऐसी परिस्थियाँ क्यों आती है, इस पर जल्द ही मैं एक आलेख आप लोगो की सेवा में प्रस्तुत करूँगा क्युकी मेरा थोडा शोध अभी बचा ही है इस विषय पर.
शादी जब होती है तो इश्वर जज होता है और गवाह भी. आज अपनी शादी जिसको तमाशा आपने ही बना दिया है और अब जगजाहिर भी करोगे, उस के लिए जज आप राखी सावंत जैसी औरत को बना रहे हो या मान रहे हो जिसकी अभी शादी भी ढंग से नहीं हुई सिर्फ हनीमून होते आये है. इस औरत का स्वयंवर, फिर शादी फिर सारा नाटक दुनिया देख चुकी है फिर भी वो युवाओं की रोल मोडल है. इन युवाओं में से एक जो देश की शक्ति है इतना खोखला हो गया की राखी सावंत जैसी औरत की एक टिपण्णी से इस कद्र टूटा की अब अतीत बन चूका है.
आप उम्मीद भी क्या करते है की आप कोठे पर भी जाये और तवायफ के तेवर से भी बच जाये. आप कीचड़ में पत्थर मरोगे तो उछल कर पड़ेगा ही न? या तो मरो मत या उस कीचड़ के लिए तैयार रहो. मेरा भी मानना है कि तवायफ की लूटी इज्ज़त बचाने का कोई फायदा नहीं.
पता नहीं क्यों राखी सावंत ने उसे नामर्द कहा और वो मर गया. क्या राखी के नामर्द कहने से कोई नामर्द हो जाता है? उसे खुद से ज्यादा विश्वास राखी पर था तो ऐसे बुझदिल इंसान को मर ही जाना था. अगर किसी औरत की कही किसी बात से तुम यु टूटे की अपने पीछे अपने बूढ़े माँ- बाप और कई बिलखते लोग छोड़ गए तो तुम नामर्द ही थे.क्युकी मर्द की परिभाषा मेरी नजरो में कुछ यु है..” इश्वर द्वारा रचित वो जीव जो बुध्धि में और जीवो से बेहतर हो और जो अपने विपरीत लिंग को उचित सम्मान दे सके और अपनी ताकत का इस्तमाल उनकी मर्यादा की रक्षा के लिए करे” . अगर इस परिभाषा की आवश्यक शर्तो को कुत्ता भी पूरा कर ले तो मैं उसे इंसान से बेहतर मान लूँगा. लक्ष्मण तुम इस पर कही नहीं खड़े उतरते इस लिए तुम मेरे हिसाब से इंसान नहीं थे और यक़ीनन मर्द भी नहीं रहे होगे.
फिर भी मैं प्रार्थना करता हु भगवान् तुम्हारी आत्मा को शांति दे.
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