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मेरे जागरण परिवार के सदस्यों को मेरा सादर प्रणाम. आज काफी दिनों बाद वक़्त मिला आप लोगो से बात करने का. सच मानिये बात न होने पर मुझे बड़ी बेचैनी होती है. लगता है कुछ कमी रह गयी. जागरण का मंच बड़ा अनूठा है यहाँ मैंने ब्लॉग ही नहीं लिखे बल्कि कुछ अच्छे रिश्ते भी बनाये और सौभाग्य मिला कुछ अच्छे विचारको के आलेख पढने का. ऐसा मंच आज दुर्लभ है. जागरण को धन्यवाद.
आज मैं आप लोगो से अपने आने वाले नोवेल के बारे में बात करूँगा. सोचा था सब कुछ फिक्स हो जाने पर बात करूँगा पर अब वक़्त भी नहीं है. मेरे कुछ प्रशंषको ने मुझसे कई बार पूछा कि क्या है आपके नोवेल का नाम?, क्या है इसका आधार? कब प्रकाशित होगी?
सब प्रश्नों का उत्तर अभी दे पाना थोड़ी जल्दीबाजी होगी पर आज वक़्त आ गया है कि कुछ बताऊ आपको अपने नोवेल के बारे में.
नोवेल का नाम मेरे ब्लॉग का शीर्षक है “प्लीज़.. किस मी ओर किल मी” … इफ यू आर इन लव, यू नीड मेडिसिन….
नोवेल मेडिकल कोलेज के कुछ विद्यार्थियों और प्रोफेसर पर है. ये कहानी सिर्फ मेडिसिन से जुड़े लोगो के लिए ही नहीं है बल्कि कोई भी व्यक्ति खुद को इस कहानी से कही न कही जुडा महसूस कर सकता है. जिन्दगी के विभिन्न पहलुओं और एक अप्रत्यासित प्रेम कहानी ही इसका आधार है. नोवेल मे आतंकवाद और इसके दूर दूर तक फैले नेटवर्क का भी जिक्र है जो भारत की नहीं पूरे विश्व की समस्या है.
मुझे पूरा यकीं है आपने बहुत सारी प्रेम कहानिया पढ़ी होगी पर इस प्रेम कहानी मे कही न कही आप खुद को किसी न किसी किरदार मे जुड़ा पायेंगे. सम्लेंगिक संबंधो का सच बताने का प्रयास किया गया है. बहुत सारे लोग किसी न किसी हादसे के बाद ऐसे सम्बन्ध बना लेते है. कोई पैदायशी सम्लेंगिक नहीं होता. एक लड़का कैसे सम्लेंगिक बनता है और फिर कैसे बहार निकल आता है इस दलदल से ये बताया गया है.
प्यार की कोई सीमा नहीं होती, प्यार किसी से कभी भी हो सकता है. प्यार के हसीं लम्हों के अलावा चरित्रों को बहुत सारी मुश्किलों से जूछ्ना पड़ता है. प्यार वो खुशबूदार हवा का झोका है जो आपके तन मन को पवित्र कर देता है पर किस तरह कभी कभी ये हवा अचानक ज़हरीली हो जाती है इसको बताने की एक कोशिश की गयी है.
हम प्यार तो करते है पर इसके दर्द से वाकिफ नहीं होते है या यूं कहे होना ही नहीं चाहते. अपनी अलग ही दुनिया बना लेते है. इस दुनिया मे जब भूचाल आता है तो किस तरह आपको अपनी जिन्दगी के अहम् फैसले लेने पड़ते है यही चरित्रों के माध्यम से बताया गया है.
औरतो को आज भी क्या दर्जा मिला है ये तो आप सब जानते है पर जब औरत का मन प्रतिशोध की अग्नि से जल रहा हो तो वो क्या कर सकती है इन्ही सब कुछ तथ्यों को इस कहानी के माध्यम से बताने का एक प्रयास किया है मैंने अपने उपन्यास मे.
ये नोवेल पूरी तरह से एक काल्पनिक कहानी है पर कल्पना भी कही न कही रोज मर्रे के जिन्दगी से ही आती है.
प्रकशन को ले कर कोई निश्चित तारीख मै आज आपको नहीं बता पाउँगा क्युकी बहुत सारी फर्मलिती होती है जिसको फिक्स करने मे कुछ वक़्त लगता है.
मुझे पूरा यकीं है आपको आलेख पढ़ कर कुछ अनुमान हो गया होगा मेरे नोवेल का. जब मैंने ब्लॉग लिखना शुरू किया था इस मंच पर मैंने कभी कल्पना नहीं की थी की इतनी प्रतिक्रिया मुझे मिलेगी. मैं एक बार फिर से जागरण और आप लोगो को अपना आभार प्रकट करता हूँ.
मुझे पूरा यकीं है आप लोगो की दुआ से जल्द ही किताब न केवल स्टालों पर होगा बल्कि आप लोगो के दिल मे भी अपनी अमिट छाप छोड़ देगा.
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