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हिंदुत्व….३ इदिअट्स

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हिंदुत्व…. एक धर्म… हमारा, आपका, भारत के प्रायः बहुसंख्य आबादी का. दुनिया भर को इस धर्म ने मानवता, सभ्यता एवं भाईचारा का पाठ पढाया और शांति का मार्ग दिखाया. पर हम और आप इस धर्म के कितने सगे है? दुनिया को उपयुक्त पाठ पढ़ाने वाला ये धर्म आज किस बदहाली के दौड़ से गुजर रहा है? कौन है इस धर्म का गुनहगार?
३ इदिअट्स : फिल्म ३ इदिअट्स की अपार सफलता के बाद लोग इदिअत शब्द से काफी जुड़ गए है इतना की वे अब इदिअत कहलाना पसंद करते है. मैं यहाँ साफ़ कर दूं, मै इदिअत को जैसा की इसका शाब्दिक अर्थ है वैसे ही उपयोग कर रहा हूँ. हाँ मैं बात कर रहा था उन ३ इदिअट्स की जो इस धर्म के गुनहगार हैं और इसकी बदहाली के जिम्मेदार भी.
इदिअत १ :पाखंडी हिन्दू धर्मगुरु : धर्म इनके लिए केवल एक माध्यम है जिनसे ये जिन्दगी में वो हर सपना पूरा कर लेते है जो हम और आप देख भी नहीं सकते. कोई भी एरा गैरा किसी भी पृष्टभूमि का हमारे आपके पास आ कर खुद को इस धर्म का शंकराचार्य बतलाता है और हम आँख मूंदे उस पे विस्वास कर लेते है. यहाँ तक की उसकी दखलन्दाज़ी अपने जिन्दगी में भी बड़े प्यार से अपनाते है. हम हिन्दू इतने भोले होते है की अपने धर्म को बेचने वाले इन पाखंडियो में ही भगवन तलाशने लगते है. ये हमसे फिर अपनी पूजा करवाते है और एक दिन पता चलता है ये पाखंडी बाबा तो आश्रम में सेक्स रेकेट चलता था और इस पर बलात्कार, हत्या जैसे कई संगीन जुर्म करने का आरोप है. इन बाबाओं ने दुनिया की नज़र में हिंदुत्व की नाक ही कटवाई है. इन लोगो का क्या करना है आप तय करे….
इदिअत २ : राजनेता कोई भी धर्म इनके लिए बस एक जलती अंगेठी है जिस पर ये अपनी राजनीती की रोटिया सकते है. फिर अगर राजनेता हिन्दू हो तो बात और मजेदार हो जाती है. सब के सब राजनेता मुस्लिम धर्म की अगुआई करते है. अगर सिमी जैसी छात्र संगठन पर आतंकवाद का आरोप तय होता है और सुप्रीम कोर्ट इस पर बेन लगाती है तो सबसे पहले हिन्दू नेताओं को ही ये बात खटकती है. खुद को सेकुलर सिद्ध करने के लिए ये विश्व हिन्दू परिषद् और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर बेन लगाने की अपील कर देते है जिन पर आतंकवाद का तो आरोप बिलकुल नहीं लगाया जा सकता है. साबरमती एक्सप्रेस में हिदू महिलाओं और बच्चो को बर्बरता से जला दिया जाता है उसकी आपत्ति किसी भी नेता को नहीं है उस पर तो कोई बात भी नहीं करता पर गुजरात दंगे की आग पूरे विश्व को हिला देती है. कुरान में भी जलाने का रिवाज़ नहीं है और वो भी जिंदा? हिन्दू देश में हिन्दुओं के लिए किसी भी तरह का रेजर्वेसन की बात कोई भी नहीं करता पर मुस्लिमो और दुसरे धर्म के लिए उनके धर्मगुरुओं के अलावा सब अपनी आवाज़ बुलंद करते है. वोट बैंक जो है ये लोग. इनका भी क्या करना है आप तय करे….
इदिअत ३ : सूडो हिन्दू : सच पूछिए तो हिन्दू ही हिन्दू धर्म की बदहाली का सबसे बड़ा गुनाहगार है. सूडो हिन्दू से मेरा तात्पर्य उन सभी हिन्दुओं से है जो है तो हिन्दू ही पर सिर्फ जन्म से करम से नहीं. आज के हिन्दू खुद को सेकुलर कहलाना पसंद करते है. मुझे खीझ है इस शब्द सेकुलरिस्म से धर्मनिरपेक्षता से. आज शायद भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय शब्द यही है पर खेद से कहना पद रहा है कि सब से ज्यादा अपरचित शब्द भी यही है. आप मुझसे ज्यादा अच्छी तरह से इसकी परिभाषा जानते होंगे. आज हिन्दुओं को पैसो का लालच दे कर उनसे धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. क्या ये सेकुलरिस्म है? आज हिदुओं कि संख्या घट गयी है सर्वे बताते है पहले हिदू पूरी जनसंख्याँ के ८४% थे अब ७८% हो गए है. कहा गए ये हिन्दू? कोई खबर लेने वाला भी है?
ऊपर के २ इदिअट्स को भी पनाह हम ही देते है. आज के हिन्दुओं ने काफी पढ़ लिख लिया है उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता इन चीजो से. आज ८४% से ७८% हुआ है तो किसी को फर्क नहीं पड़ रहा पर जब ये ४५% हो जायेगा तब यही लोग एक अनदेखे डर के साये तले जियेंगे और तब हाथ में कुछ भी नहीं होगा. वो कटरपंथी हैं तो हिन्दू देश में भी पूजे जाते है उनके नुमाएंदे हिन्दू खुद है. आपकी अगर कोई पहचान नहीं तो आप निर्जीव है और हिंदुत्व ही हिन्दुओं कि पहचान है.
मेरा मकसद कोई दुर्भावना फैलाना नहीं है मैं तो बस इन तीन गुनाहगारो को पहचान ने में आपकी मदद करना चाहता हूँ जो हमारी शान को दूसरो पर कुर्बान कर रहे हैं. इनका क्या करना है?…कुछ खास नहीं थोडा सोचे गंभीरता से इस आलेख पर जबाब खुद मिल जायेगा…..

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