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सौ बात की एक बात, दें पीएम मोदी के निर्णय का साथ!

Mithilesh's Pen
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काला धन, काला धन पिछले कई सालों से खूब शोर मचा है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात दंगों के बाद सबसे ज्यादा ताने और आलोचना इसी ‘काले धन’ के मुद्दे पर सुनी है, पर असुरक्षा को पार कर आगे किस प्रकार चला जाता है यह पीएम मोदी ने बखूबी दर्शाया है. 500 और 1000 के नोटों की कानूनी वैधता समाप्त कर केंद्र सरकार ने कितना बड़ा कदम उठाया है, इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल है. देशहित में इसके इतने ज्यादा फायदे हैं कि आप कैलकुलेट ही करते रह जायेंगे. अगर इस निर्णय पर अडिग रहकर बेईमानों के रास्ते कठिन बनाने का कार्य जारी रहता है तो वर्तमान केंद्र सरकार आज़ाद भारत की सबसे बेहतरीन सरकार समझी जाने वाली है! तमाम विश्लेषणों, आंकलनों से इतर देश की 22 फ़ीसदी से अधिक गरीब जनता और 60 फीसदी से अधिक मध्यवर्ग इस फैसले से खुश है. बाकी 15 – 20 परसेंट जो काले धन के बल पर काले कार्य करते हैं, एन केन प्रकारेण भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं, जाने-अनजाने आतंकवाद को मदद देते हैं, अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह चाटते हैं, उनके लिए यह निर्णय वज्रपात जैसा है. हालाँकि, कहने को देशभर में थोड़ा बहुत काला धन मध्यमवर्ग के पास भी होगा, किंतु यह संख्या 10, 20, 50 लाख या एक करोड़ के दायरे में ही होगी किंतु जिस काले धन की बात की जा रही है, उसमें हवाला कारोबारी, राजनीतिक पार्टियां/ नेता, आतंकवादी समूह ज्यादा अहम हैं. अब 500 और 1000 नोटों की शक्ल में इन्होंने जो नकदी जमा कर रखी होगी उसकी कीमत रद्दी के टुकड़े से ज्यादा नहीं होगी! किसी हाल में अपने उस काले धन को वह न तो कहीं इन्वेस्ट कर पाएंगे, और ना ही बैंकिंग सिस्टम से उसको वाइट कर सकेंगे! चूंकि, हरेक लेन-देन का रिकॉर्ड भी रखा जाने लगा है, इसलिए सुनारों को इतनी जल्दी बड़ा लेनदेन करना नामुमकिन सा हो जाएगा. अब 500 और 1000 के नोट चल नहीं रहे हैं, तो कोई सोने में भी तुरंत कितना इन्वेस्टमेंट कर सकेगा, वह भी कैश! सौ-सौ के करेंसी-नोट लोगों के पास होते नहीं हैं. Black Money, Currency Ban, Hindi Article, New, Historical Step, Economy, Development of India, Stop Corruption, Big Game, Modi Government

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हालांकि तमाम असुविधाओं की बात कही जा रही है और असुविधाएं होंगी भी, पर इसे पीएम ने अपने भाषण में बड़े साफ ढंग से स्पष्ट किया है कि भारत की ईमानदार जनता थोड़ा कष्ट कर लेगी, किंतु भ्रष्टाचार और आतंकवाद के विरुद्ध उठाए जा रहे कदमों के साथ हर हाल में खड़ी होगी, बिना उफ़ किये! आखिर इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार से मुक्ति, आतंकवाद की फंडिंग पर लगाम, बैंकिंग सिस्टम को जबरदस्त ढंग से बढ़ावा और सोशल सेक्टर को मजबूती जो मिलेगी. इसके अतिरिक्त, रियल एस्टेट और दुसरे क्षेत्रों में जो बड़ी धांधलियां की जाती थीं वह नहीं होंगी और मकान, फ्लैट अपेक्षाकृत सस्ते होते जाएंगे! हालाँकि, बड़े फायदों के साथ कुछ महत्वपूर्ण बातें और भी हैं, जिन्हें समझा जाना आवश्यक है. अपने बचे हुए सवा 2 साल के कार्यकाल में सरकार को इस फैसले से उत्पन्न प्रभावों के साथ बड़े स्तर पर तालमेल बिठाना होगा. जन-धन योजना में 25 करोड़ के आसपास नए खाते जरूर खुले हैं, किंतु उस में मात्र 20 परसेंट बैंक अकाउंट ही सक्रिय अवस्था में हैं. जाहिर तौर पर सक्रियता की गति बढ़ानी होगी. यदि इन आंकड़ों को छोड़ भी दें, तो अभी भी भारत में 40 परसेंट से अधिक आबादी है जो बैंकिंग लेनदेन से दूर है, अतः सरकार को इस मामले में बेहद जागरुकता फैलानी होगी, अन्यथा आम जन-जीवन बड़े स्तर पर दुखी होगा. इसी कड़ी में एक अन्य समस्या डिजिटल इंडिया और प्लास्टिक मनी को लेकर है. बड़े शहरों में कार्ड से लेनदेन जरूर होता है, हालाँकि उसकी संख्या भी कम ही है, किंतु छोटे शहरों और कस्बों में प्लास्टिक मनी से पेमेंट का चलन नगण्य ही है. अब यदि खुदरा बाजार में हमें कार्य को प्रभावित नहीं होने देना है तो बैंकिंग सिस्टम को दोगुनी गति से मजबूत और सक्षम बनाना होगा. इसके बाद व्यापार पर आते हैं. थोड़ा बहुत काला धन निश्चित रुप से तमाम छोटे-बड़े उद्योगों / व्यापारों में लगा हुआ है और वह इसलिए कि भारत के टैक्स कानून, लालफीताशाही, घूसखोरी से लोगबाग पीड़ित हैं और यदि एक झटके में उस काले धन के ‘फ्लो’ को सरकार ने रोकने का कदम उठाया है तो उसकी यह जिम्मेदारी बनती है कि बिजनेस करने वाले वर्ग को आसान टैक्स सिस्टम के साथ, लालफीताशाही से भी मुक्ति मिले. Black Money, Currency Ban, Hindi Article, New, Historical Step, Economy, Development of India, Stop Corruption, Big Game, Modi Government

कहना बेहद आसान है, किंतु इस गिरावट के दौर में व्यापार करने वाला वर्ग बेहतर जानता है कि वह अपने खर्चे कैसे निकालता है, इंप्लाइज को कैसे सैलरी देता है और किस तरह सरकारी अधिकारियों का पेट भरता है. जाहिर तौर पर, अगर व्यापार को सरल नहीं किया गया तो अर्थव्यवस्था भीतर से कमजोर होती चली जाएगी लोगबाग़ बिजनेस छोड़ने लगेंगे, तो नौकरियों में गिरावट होगी ही होगी! यह बेहद जरूरी आंकलन है, जिसे संभवतः सरकार ने भी विचार किया ही होगा. आखिर काले धन की उत्पत्ति होती क्यों है, इस बाबत विचार और उसे रोकने हेतु क्रियान्वयन उतने ही आवश्यक हैं. यह एक तथ्य है कि मनुष्य का लालच इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार है, किन्तु नियम-कानून इतने अव्यवहारिक रहे हैं हमारे देश में कि अगर वह सब यथावत पालन करने लगा जाए तो आदमी कभी धंधा-पानी करे ही नहीं! तमाम टैक्सेज और फॉर्मेलिटीज के बाद चढ़ावा अलग से! निश्चित रूप से अगर यह समस्याएं नहीं सुलझाई गयीं तो ‘काले धन’ कि पुनः उत्पत्ति होनी शुरू हो जाएगी. कई अर्थशास्त्री सरकार के इस कदम को जल्दबाजी में उठाया गया कदम भी बता रहे हैं. मसलन, ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था सुस्त है, लोग कम खर्च करेंगे, उपभोग पर असर पड़ेगा. जाहिर तौर पर फैसले को अमल में लाना इतना आसान नहीं है. खुद राजस्व सचिव कह रहे हैं कि 20-25 दिन लोगों को दिक्कत होगी, किन्तु इससे उपजी असुविधा तीन महीने से ज्यादा दिनों तक जारी रह सकती है. कई तो यह भी कह रहे हैं कि ‘यह शादियों का सीजन है’. गांवों में सीमित आमदनी वाले लोग भी इस सीजन में 8-10 लाख रुपये खर्च कर देते हैं. जाहिर तौर पर ये रकम नकद खर्च की जाती है और ऐसा करने वाले किसान लोग ही हैं. इस बात में संदेह नहीं है कि छोटे स्तरों पर लोगों के लिए बड़ी मुसीबत होने वाली है, जबकि बड़े कारोबारियों को तात्कालिक रूप से कोई दिक्कत नहीं होने वाली है, क्योंकि राजनीतिक दलों से उनके ताल्लुकात अच्छे होते हैं. Black Money, Currency Ban, Hindi Article, New, Historical Step, Economy, Development of India, Stop Corruption, Big Game, Modi Government

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खैर, यह सारा आंकलन अपनी जगह है और बावजूद इन दिक्कतों के इससे होने वाले फायदों की संख्या कहीं ज्यादा है. जहाँ तक शादियों की बात है तो इस फैसले से शादियों में होने वाले भारी खर्च में भी कटौती ही होगी, परिणामस्वरूप दहेज़ इत्यादि कुप्रथाओं पर कुछ हद तक ही सही, लगाम भी लगेगी. कहा तो यह भी जा रहा है कि इससे महिलाओं का बैंकिंग के प्रति सीधा रूझान बढ़ने वाला है और यह विषय नारी-सशक्तिकरण से जुड़ा हुआ है. इसके साथ, नकली नोटों की बड़ी खेप से निश्चित रूप से हमें राहत मिलने वाली है तो आतंकवाद की फंडिंग पर काफी हद तक लगाम भी लगेगी. इसलिए, सौ बात की एक बात है और वह यह है कि पीएम मोदी के साहसिक निर्णय में हर एक को बढ़-चढ़कर प्रशंसा करनी चाहिए तो उनसे सहयोग की अपेक्षा भी की जानी चाहिए. आख़िर, इस निर्णय में देश और पब्लिक का ही अंततः हित शामिल है.

मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

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