शाम को लौटते हुए अक्सर मैं बच्चा भाई की बैठक में चला जाता था, लेकिन आज वह खुद मेरे घर पधारे हुए थे. छूटते ही चहक कर बोले, सुधीन्द्र कुलकर्णी के बाद आज शिवसैनिक बीसीसीआई के ऑफिस में भी गुंडागर्दी करने घुस गए! ऐसे मुद्दे पर उनकी ख़ुशी देखकर मेरे चेहरे पर आश्चर्यमिश्रित गुस्सा उभर आया, क्योंकि खुद बच्चा भाई नफरत की राजनीति की बुराई करते रहते थे! इससे पहले कि मैं अपनी भड़ास निकालता, उन्होंने आगे व्याख्या करते हुए कहा कि जब पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड का विरोध करने शिवसैनिक धड़धड़ाते हुए बीसीसीआई दफ्तर में घुस गए तो बच्चा भाई को बड़ी प्रसन्नता हुई! अब मुझसे नहीं रूका गया और मैंने कहा कि ‘बच्चा, तू कबसे पाकिस्तान को गाली देने लगा, पहले तो तू पड़ोसियों से सम्बन्ध… …
न… न… यार मुझे पाकिस्तान को गाली देने वाला मत समझ, बल्कि इसमें ख़ुशी वाली बात यह है कि कम से कम मुद्दा तो बदला… !! रोज-रोज वही दादरी, पुरस्कार वापसी, वेदों में गाय खाने और गाय को खाने वालों की जान लेने का कुतर्क, कर्नाटक में मुसलमानों द्वारा बजरंग दल के किसी कार्यकर्त्ता की पीट-पीटकर हत्या करना, हिन्दू राष्ट्र, संघ का रूख, प्रधानमंत्री की चुप्पी… आदि समानार्थी शब्दों और मुद्दों से दिमाग का दही हो गया है! बच्चा भाई रुके नहीं, आगे बोले, कमबख्त, मेरा दिमाग और सोच छोटी है, कोई सुपर-कम्प्यूटर तो नहीं कि धड़ाधड़ मेमोरी बढ़ा लूं! शिवसेना की तारीफ़ इसलिए कर रहा हूँ कि देश में जहाँ साम्प्रदायिक मुद्दों के ध्रुवीकरण की बातें उठ रही हैं, वहीँ वह सारा का सारा दोष, गुस्सा और मुद्दा पाकिस्तान की ओर मोड़ने में लगी है, बेचारी!
मन ही मन बच्चा भाई की इस समझदारी से मुझे ईर्ष्या हो आयी और मैंने कहा, तो इसका मतलब यह है कि अपनी घरेलु समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए? हमेशा हंसी मजाक करने वाले बच्चा भाई ने संजीदगी से कहा, अरे यार देख! राजनीति हमेशा से ‘कम बुरे’ को महत्त्व देने का नाम रही है. ऐसे में, देशहित में ज्यादा बुरा मुद्दा कौन सा है. अरे! हमें तो शिवसेना का धन्यवाद करना चाहिए, जो वह लगातार एक के बाद एक पाकिस्तान से नफरत की राजनीति को हवा दे रही है और टेलीविजन के प्राइम टाइम में हिन्दू-मुसलमान की राजनीति को रिप्लेस करने की भरसक कोशिश कर रही है. उनके तर्क पर मैंने कुछ नहीं बोला तो उन्होंने आगे मुझे और लेक्चर पिला दिया और शिवसेना के बारे में आंकड़े भी पेश कर दिए, कहा- शिवसेना के पिछले महीने के प्रयासों की छानबीन कर लो तुम… दादरी घटना की उसने निंदा की तो सामना में यह भी कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति करने का प्रयास हो रहा है. उसके बाद उसने पाकिस्तान के गुलाम अली का मुद्दा उठाया, फिर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी के समर्थन के लिए सुधीन्द्र कुलकर्णी की पुताई की और अब उन्होंने ‘शहरयार खान गो बैक’ के नारे लगाये… अब जरा सोचो, अन्य दिनों में बेशक तुम उन्हें गाली देते, लेकिन आज के हालात में तो यह ठीक ही है. मुझे चुप देखकर, बच्चा भाई ने नहले पर दहला मारा और कहा, शिवसेना की अच्छाई या बुराई करने के लिए हम पूर्ण स्वतंत्र हैं, लेकिन यह तो मानना ही होगा कि उसके द्वारा सही समय पर मुद्दा बदलने की सही कोशिश की गयी है, कम से कम उस बीफ और चुप्पी से कुछ तो राहत मिली!
विकल्पों पर तू कभी ध्यान नहीं देता, इसलिए कलम ही घिसता रह गया! सीख, शिवसेना से राजनीति सीख और चल नूडल खाने के बाद हम भी नारा लगाते हैं ‘चीन मुर्दाबाद’!
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