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हाल-फिलहाल ही नहीं, पिछले कई दशकों से अगर किसी एक शब्द पर सर्वाधिक चर्चा किये जाने का आंकड़ा निकाला जाय तो वह ‘आरक्षण’ ही होगा! संविधान में मात्र 15 वर्ष के लिए इस अस्थायी प्रावधान को शामिल करने के बाद किस प्रकार यह कालिया नाग की भांति अपने फन फैलाता गया, इस बात पर खूब चर्चा हो चुकी है. अभी जेएनयू विवाद अपने चरम पर चल ही रहा था कि आरक्षण की आग से हरियाणा एक बार फिर जल उठा है. हरियाणा के 11 जिले अचानक धधक उठे हैं. हरियाणा के रोहतक में जाट आंदोलन के दौरान फ़ायरिंग में एक व्यक्ति की मौत के बाद प्रशासन द्वारा सेना तक को बुलाना पड़ा है. रोहतक में आरक्षण की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसा होने की खबर है, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं. गुजरात में पटेल आंदोलन के हिंसक दौर के बाद जाटों का हिंसक आंदोलन गंभीर चिंता प्रकट करता है. राज्य सरकार के साथ-साथ निश्चित रूप से केंद्र सरकार के माथे पर भी चिंताजनक लकीरें उभर आयी होंगी. हरियाणा में प्रदर्शनकारियों ने राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु सिंह के घर पर भी हमला किया और घर के बाहर तीन सरकारी वाहन जला दिए. हरियाणा के कई जिलों में जाट छह दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. रोहतक के अतिरिक्त उपायुक्त का कहना है कि आंदोलनकारी नेतृत्व विहीन हो गए हैं इसलिए उन पर क़ाबू पाना मुश्किल हो गया है.
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