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संसार ने खोया एक और संत

Mithilesh's Pen
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तमाम राजनीतिक और अन्य खबरों के बीच एक बेहद असामयिक खबर आयी है, जिसने भारत में करोड़ों लोगों को सदमे में डाल दिया है. आध्यात्मिक गुरु और संत निरंकारी मिशन के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह की कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में एक सड़क हादसे के दौरान मौत हो गई है. इस क्रम में जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके अनुसार, 25 अप्रैल को बाबा दिल्ली से रवाना हुए थे और न्यूयार्क के बाद कनाडा पहुंचे थे, जहाँ यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई. इस खबर के बाद श्रद्धालुओं में शोक की लहर दौड़ गई है तो परिवार भी सदमे में है. हालाँकि, निरंकारी मिशन ने श्रद्धालुओ से दुःख की घड़ी में धैर्य की अपील की है, किन्तु बावजूद इसके लोग अभी भी बड़ी मुश्किल से यकीन कर पा रहे हैं कि जो संत कल तक उन्हें सही ढंग से जीवन जीने का मार्ग बता रहा था, वह अचानक ही सबको छोड़ कर जा चुका है. उनके निधन की ख़बर पर शोक व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन ने ट्वीट करते हुए लिखा, “बाबा निरंकारी का जाना देश का बहुत बड़ा नुकसान है. वह लोगों की बहुत सेवा करते थे. मैं व्यक्तिगत रूप से उनके ‘समागमों’ का साक्षी बना हूं…” अन्य कई हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री ने बाबा हरदेव के निधन को आध्यात्मिक वर्ल्ड के लिए बड़ा नुक्सान बताया. प्रश्न उठता है कि आखिर हमारे समाज में जहाँ कई धनिक, कई सुपरस्टार और कई अन्य तरह के लोग हैं, वहां ‘धर्म गुरुओं’, आध्यात्मिक प्रवर्तकों का क्या महत्त्व है कि लोग उसके पीछे टूट कर जाते हैं और उसके एक कथन पर सब कुछ करने को तत्पर हो जाते हैं.

प्राचीनकाल से ही भारत में विभिन्न धर्मों तथा मतों के प्रवर्तकों, अनुयायियों का जन्म हुआ है. इन सभी महापुरुषों का उद्देश्य लगभग एक ही रहा है, ‘प्राणी मात्र का कल्याण’! सबमें मेल-जोल और भाईचारा बढ़ाने के लिए सन्तों ने समय-समय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है और जब बात भारतवर्ष की होती है तब तो ऐसे अनगिनत उदाहरण दिखते हैं. अन्य तमाम समुदायों की तरह, एक समुदाय है ‘निरंकारी समुदाय’, जिसकी उत्पत्ति पंजाब के उत्तर-पश्चिम में बसे रावलपिंडी से हुई जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. इस समुदाय की स्थापना सहजधारी सिख बाबा दयाल सिंह और एक स्वर्ण व्यापारी ने की थी. संत निरंकारी मिशन की शुरुआत उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्ध में हुई थी. इसके वास्तविक प्रणेता बाबा बूटा सिंहजी माने जाते हैं. हालाँकि ब्रिटिश राज में  इस समुदाय को बढ़ने नहीं दिया गया और इसकी उपेक्षा की गयी तो इसे छिपे रूप में कुचलने का प्रयास भी हुआ. लेकिन, कहा जाता है कि ‘जाको रखे साइयां’ और वही इस समुदाय के साथ भी हुआ! वर्तमान समय में इस समुदाय के करोड़ों अनुयायी भारत से लेकर दुनिया के तमाम देशों में फैले हैं. 1980 में इस समुदाय के तत्तकालीन गुरु बाबा गुरबचन सिंह की हत्या कर दी गई थी और उसके बाद उनके पुत्र बाबा हरदेव सिंह ने, जो उस वक्त मात्र 26 साल की उम्र के थे, उन्होंने गुरु-गद्दी को सम्भाल लिया था. उल्लेखनीय है कि संत निरंकारी मिशन भारत की एक विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्था है, जिसे लोग ‘यूनिवर्सल ब्रदरहुड मिशन’ के नाम से भी जानते हैं और इसका मुख्यालय दिल्ली में है. अपने इस मिशन के तहत तमाम जन कल्याण के कार्य यह संस्था करती है तो लोगों को सही जीवन जीने की प्रेरणा भी यहाँ से मिलती रही है.

संत निरंकारी मिशन के सिद्धांतों को न सिर्फ उनके अनुयायी और समर्थक ही मानते हैं बल्कि अन्य दूसरे लोग भी उतनी ही श्रद्धा से मानते हैं और यह बेहद ख़ास बात है. संत निरंकारी मिशन जैसा कि हम जानते हैं एक सुधारवादी अभियान है. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण है और यह परंपरा एक के बाद दुसरे गुरुओं के माध्यम से चलती रही है. बाबा हरदेव तथा उनसे पहले के गुरुओं का भी यही मानना था कि मानुष को मानुष बनना बहुत जरुरी है. मनुष्य अपने जीवन का उद्देश्य न भूले, जोकि प्राणी मात्र की सेवा है. गौरतलब है कि यह कोई नया धर्म या पंथ नहीं है, बल्कि यह जातपात, वर्ग और वर्ण विभेद से परे समाज के सभी मनुष्यों को साथ लेकर चलने वाला एक आध्यात्मिक अभियान है, जिसका उद्देश्य मानव मात्र के कल्याण के सिवा दूसरा नहीं! जैसाकि नाम से ही स्पष्ट है ‘निरंकारी’, जिसका अर्थ है ईश्वर का कोई आकार या रूप नहीं है. ऐसे ही उसके द्वारा बनाए इंसानों में भी कोई भेदभाव नहीं है और अगर कोई भेदभाव करता है तो वह ईश्वर के बनाए नियमों का खुला उल्लंघन करता है. ईश्वर के द्वारा बनाए गए सभी प्राणी समान हैं और यह बात केवल ‘निरंकारी समुदाय’ ही नहीं कहता है, बल्कि समस्त भारतीय दर्शन का यही तो सारांश है. आज भी जब छुआछूत, भेदभाव की ख़बरें हम सुनते हैं तो बेहद आश्चर्य होता है कि क्या 21वीं सदी में भी हम उन्हीं दकियानूसी विचारों के सहारे चलना चाहते हैं, जिसके कारण हमारे देश ने सदियों की गुलामी झेली है. जाहिर है, ऐसी स्थिति में किसी किसी बाबा हरदेव की आवश्यकता पड़ती है, जो केवल बताते ही नहीं हैं, बल्कि भेदभाव रहित जीवन जीकर दिखाते हैं कि ‘किसी के साथ भेदभाव न करके सबके साथ समानता का व्यवहार करना समाज और व्यक्ति-मात्र के हित में ही है’.

बाबा हरदेव सिंह द्वारा ये विचार भारत समेत विश्व भर में फैलाया जा रहा था. विदेशों में इस मिशन के सबसे अधिक अनुयायी ब्रिटेन, यूएसए, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में हैं. वर्ष 2005 में बाबा हरदेव सिंह ने दिल्ली स्थित संत निरंकारी काम्प्लेक्स में निरंकारी म्यूजियम की स्थापना की थी. यहां इस समुदाय से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण कृतियां, वस्तुएं आदि सहेजी गई हैं. भारत में निरंकारी मिशन के सबसे अधिक अनुयायी पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हैं. वर्तमान में देश के हर प्रमुख शहर में इस संस्था के सत्संग भवन हैं और आज भारत में ही उनके एक करोड़ से ज्यादा फॉलोवर्स हैं. संत निरंकारी मिशन की व्यापकता का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि इस संस्था की 100 से अधिक शाखाएं विश्व के लगभग 27 देशों में स्थित हैं. संत निरंकारी मिशन के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह जी नहीं रहे, भारत तथा विश्व के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है, किन्तु उनके सन्देश ‘मनुष्य को मनुष्य’ बनने की प्रेरणा आज और भविष्य में भी रहेगी, इस बात में दो राय नहीं! हां, आज के इस हिंसा भरे समाज में बाबा हरदेव जैसे संतो के सन्देश को हम कितना आत्मसात कर पाते हैं, यह जरूर देखने वाली बात है.

मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

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