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घर बनाने का सपना लोगों में उस समय से ही घर करने लगता है जब वह शिक्षा ग्रहण करते हैं. उसी समय से ही घर की चाहत रखने वाले लोग एक-एक पैसा जुटाना शुरू कर देते हैं ताकि भविष्य में उनका सपना साकार हो सके. इस समय प्रॉपर्टी सबसे अधिक रिटर्न देने वाला निवेश बन चुका है. अगर आप भी चाहते हैं कि आपके पास भी अपनी प्रॉपर्टी हो तो इसके लिए जरूरी है कि आप एक जमीन का टुकड़ा या फ्लैट खरीदें. यहाँ समझना आवश्यक है कि प्रॉपर्टी कोई भी हो, उसकी कीमत इतनी तो होती ही है कि एक आम आदमी उस कीमत को जाेड़ने के लिए कई साल लगाता है. अगर बैंक लोन से भी प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो आपको बैंक लोन की कीमत कई साल चुकानी पड़ेगी. जब इतना लम्बा समय पैसों की अरेंजमेंट में लगाना ही है तो खरीददारी के समय थोड़ी पूछताछ क्यों न कर ली जाय… अगर किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट में निवेश कर रहे हैं ताे यह जानना जरूरी है कि उस प्रोजेक्ट को डिप्टी डायरेक्टर लोकल बाडीज डिपार्टमेंट की ओर से पास किया गया है या नहीं? लोन लेते वक्त भी बैंक से लोन की पूरी जानकारी ले लें. इससे आप ठगी से बच सकते हैं. बिल्डर द्वारा किया जाने वाला एग्रीमेंट ध्यान से पढ़ना जरूरी है. ये ध्यान रखें कि जो एग्रीमेंट के समय आपको सुविधाएं बताई जा रही हैं वो बिल्डर अपको तय समय में दे रहा है या नहीं! अगर आप किसी बड़े प्रोजेक्ट की बजाए ऐसी रिहायशी कॉलोनी में घर खरीद रहे हैं कि जहां इंडिविजुअल प्लॉट्स या मकान हैं तो इनमें किसी धोखे से बचने के लिए राजस्व विभाग से पहले ही पड़ताल कर लेना ठीक रहता है. पटवारी के पास प्रत्येक प्रॉपर्टी के बारे में रिकार्ड मौजूद रहता है. यह भी पता चल जाता है कि किस कॉलोनी में किस नंबर का प्लाट किसके नाम है, यह प्लाट कब से किसके नाम हैं. इसके अलावा भारमुक्त सर्टिफिकेट भी खरीददार से लेना भूलना नहीं चाहिए. इन जनरल पॉइंट्स के अतिरिक्त नीचे कुछ तकनीकी टिप्स दिए जा रहे हैं जो आपको धोखाधड़ी से बचाने में मदद कर सकते हैं:
नकली डॉक्यूमेंट (Fake documents): बहुधा प्रॉपर्टी खरीदने वाले व्यक्तियों को बाद में पता चलता है कि उन्हें नकली डॉक्यूमेंट दे दिया गया है और वह अपनी गाढ़ी कमाई खो देते हैं. इससे बचने के लिए सब रजिस्ट्रार ऑफिस से प्रॉपर्टी की वेरिफिकेशन फायदेमंद रहती है.
प्रॉपर्टी पर लोन/ कर्ज (double mortgage /loan): प्रॉपर्टी खरीदने के लिए बहुधा लोग प्रॉपर्टी डीलर/ एजेंट के पास जाते हैं और वह उन्हें अच्छी लोकेशन पर जगह दिखाता है. फिर पैसे का लेन-देन होता है और प्रॉपर्टी खरीददार के नाम पर रजिस्टर भी हो जाती है. कुछ दिनों बाद पता चलता है कि प्रॉपर्टी पर बैंक-लोन लिया गया है. कई बार एक से ज्यादे बैंको का लोन भी प्रॉपर्टी पर होता है, जबकि प्रॉपर्टी बेचने के बाद फ्रॉड व्यक्ति फरार हो जाता है और खरीददार बेचारा कोर्ट केस के चक्कर में फंस जाता है. इस तरह के संदेहात्मक प्लाट और फ्लैट खरीदते समय बेहद सावधानी आवश्यक है.
मल्टिपल ‘जनरल पावर ऑफ़ अटॉर्नी’ (Multiple General Power of Attorney): प्रॉपर्टी खरीदने में आजकल पावर ऑफ़ अटॉर्नी का चलन है. यह एक के बाद दूसरी और फिर आगे तक एक लम्बी चेन बनती जाती है. कई बार एक ही प्रॉपर्टी की अलग अलग लोगों को पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी कर दी जाती है. कई बार दो से भी ज्यादा दावेदार हो जाते हैं सम्बंधित प्रॉपर्टी का फ्रॉड करने वाला व्यक्ति देश छोड़कर फरार हो जाता है. इससे बचने के लिए सब रजिस्ट्रार ऑफिस से सम्बंधित व्यक्ति की ओनरशिप वेरीफाई करनी आवश्यक है.
अनधिकृत लेआउट (Unauthorized Layouts): कई बार ऐसी केस भी आती हैं, जब प्रॉपर्टी डीलर गवर्नमेंट की प्रॉपर्टी को ही अपना बताकर बेच देते हैं. नकली कागजात बनाना फ्रॉड लोगों के लिए आसान है. इस विषय पर एक फिल्म ‘खोसला का घोसला’ भी बन चुकी है. इससे बचने के लिए जमीन के बारे में लोकल इन्क्वायरी आवश्यक हो जाती है जैसे पड़ोसियों, गांववालों से पूछताछ इत्यादि.
कब्ज़ा (Encroachments): कई बार प्रॉपर्टी डीलर कब्ज़ा किये हुए प्लाट को बेच देते हैं और बाद में जब खरीददार उस प्लाट पर पहुँचता है, तब उसे पता चलता है कि उसने किसी और का कब्ज़ा किया हुआ प्लाट खरीद लिया है और नतीजा यह होता है कि वह हाथ मलता रह जाता है.
प्रस्तुति – मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.
Precaution should be taken at the time of purchasing flat, plot
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