Menu
blogid : 19936 postid : 1143521

स्टूडेंट्स, टीचर्स एवं राइट टू फ्रीडम

Mithilesh's Pen
Mithilesh's Pen
  • 361 Posts
  • 113 Comments

मेरे देश की धरती सोना उगले…. वाले गीत का जिक्र करते हुए न्यायालय ने ठीक ही कहा है कि देश ने हमें कई महान देशभक्त दिए हैं तो देश के सैनिक विपरित हालातों में देश की रक्षा करते हैं. ऐसे में कहीं अगर देश विरोधी नारे लगते हैं तो उनके मन को ठेस पहुंचती है. बेहद स्पष्ट शब्दों में कोर्ट ने कहा है कि देश विरोधी नारों को अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं माना जा सकता. हालाँकि, कन्हैया की ज़मानत की खबर सुनकर जेएनयू से लेकर उनके गांव तक में खुशी का माहौल है, लेकिन इसके साथ कोर्ट और कन्हैया के माँ की भी यही उम्मीद है कि उनका बेटा कभी देशद्रोहियों का साथ नहीं दे सकता और देशद्रोहियों से उसे पर्याप्त दूरी रखनी ही चाहिए. जेएनयू के बहुचर्चित मामले में कन्हैया कुमार को ज़मानत मिल गयी है, किन्तु इससे ज्यादा महत्त्व की बात यह है जो माननीय उच्च न्यायालय ने ज़मानत देते हुए कही! इस ज़मानत के अपने सबक हैं, जो न्याय की कलम से निकले हैं और न केवल राष्ट्रहित, समाजहित बल्कि उससे कहीं ज्यादा स्वहित से जुड़े हुए हैं. ज़मानत के फैसले की परत-दर-परत व्याख्या करते हुए न्यायालय ने कई ऐसी बातें कहीं हैं, जो राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर राजनीति करने से बाज नहीं आते!

देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ के अध्‍यक्ष कन्‍हैया कुमार को दिल्‍ली हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया है. कन्हैया कुमार ने अपनी रिहाई के लिए दिल्ली की एक अदालत में जमानत राशि जमा की, जिसके बाद उसकी रिहाई हो पाई. इसके बाद कन्हैया को बेहद सावधानी से जेएनयू पहुंचाया गया और ऐहतियातन पुलिस की तीन कार उसे एस्कॉर्ट कर रही थीं. यह सब उसकी सुरक्षा को लेकर कवायद थी. कन्हैया की ज़मानत को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए. गौरतलब है कि कन्हैया पर देशविरोधी नारे लगाने का आरोप था, लेकिन पुलिस कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई. कन्हैया की अंतरिम जमानत के लिए शर्तें निर्धारित करते हुए एक दिन पहले  उच्च न्यायालय ने कहा था कि 10,000 रुपये की जमानत राशि और जमानतदार देना होगा और इस शर्त से संतुष्ट करना होगा कि वह अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे. इन सब औपचारिकताओं से हटकर, जो बातें उच्च न्यायालय ने कहीं, उसे हर एक देशवासी और छात्रों के अतिरिक्त अध्यापकों को विशेष रूप से सुनना चाहिए. कन्हैया की ज़मानत की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतिभा रानी ने 23 पन्ने के फैसले में कहा है कि राष्ट्रद्रोह के मामले की जांच अभी “शुरुआती स्तर” में है इसलिए जेएनयू अध्यक्ष को छह महीने की अंतरिम ज़मानत दी जाती है. 57 बिंदुओं में दिए गए फैसले में जस्टिस प्रतिभा रानी ने 37 बिंदुओं में बचाव पक्ष और सरकारी वकील की दलीलों का हवाला दिया है.

इस फैसले में जस्टिस प्रतिभा रानी ने कहा कि 9 फ़रवरी को कन्हैया की मौजूदगी का दावा उस दिन शूट किए कुछ वीडियो फ़ुटेज के आधार पर किया गया है. सवाल ये है कि जिस तरह के गंभीर आरोप हैं और सबूतों के आधार पर जो राष्ट्र विरोधी रवैए का पता चला, उन्हें जेल में रखा जाना चाहिए. साथ ही साथ जेएनयू के छात्र संघ के नेता होने के कारण कन्हैया की कैंपस में होने वाले कार्यक्रमों को लेकर कुछ ज़िम्मेदारियां और जवाबदेही है. न्यायाधीश महोदया ने साफ़ तौर पर कहा कि भारत के संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत हर नागरिक को अपनी विचारधारा और राजनीतिक जुड़ाव के साथ जीने का हक़ है, किन्तु ये ध्यान में रखने की बात है कि हम अभिव्यक्ति की आज़ादी इसलिए मना पा रहे हैं क्योंकि हमारे जवान सरहदों पर तैनात हैं. हमें सुरक्षा देने वाली हमारी सेना दुनिया के सबसे कठिन इलाकों जैसे कि सियाचिन और कच्छ के रण में तैनात है. ये भी ध्यान देने की ज़रूरत है कि ऐसे लोग इस तरह की स्वतंत्रता का आनंद आराम से विश्वविद्यालय परिसर में ले रहे हैं, उन्हें इसकी समझ नहीं है कि दुनिया के सबसे ऊंचे ठिकानों पर लड़ाई के मैदान जैसी परिस्थियों में, जहां ऑक्सीजन की इतनी कमी है कि जो लोग अफ़ज़ल गुरु और मकबूल भट्ट के पोस्टर सीने से लगाकर उनकी शहादत का सम्मान कर रहे हैं और राष्ट्रविरोधी नारेबाजी कर रहे हैं, वे इन कठिन परिस्थितियों का एक घंटे के लिए भी मुकाबला नहीं कर सकते. भारतीय सेना के परिवारों का ठीक ही ज़िक्र किया न्यायाधीश महोदया ने कि जिस तरह की नारेबाज़ी की गई है उससे शहीदों के वे परिवार हतोत्साहित हो सकते हैं जिनके शव तिरंगे में लिपटे ताबूतों में घर लौटे. साफ़ जाहिर है कि हमारी न्यायपालिका लोगों के अधिकारों की रक्षा के नाम पर पिछले दरवाजे से से देशद्रोह पर कड़ा रूख अख्तियार किये हुए है.

आगे अपने फैसले में न्यायालय ने कहा कि कन्हैया अपने राजनीतिक रूझानों को आगे ले जा सकते हैं लेकिन यह संविधान के ढ़ांचे के भीतर ही संभव है. भारत अनेकता में एकता का देश है. संविधान के अनुच्छेद 19(2) के अंतर्गत सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. विरोध में जिस तरह का विचार था उसके बारे में उस छात्र वर्ग को आत्मनिरीक्षण करने की ज़रूरत है, जिनकी अफ़ज़ल गुरु और मकबूल भट्ट की पोस्टर पकड़े तस्वीरें रिकार्ड में उपलब्ध हैं. आगे की टिप्पणी बेहद महत्त्व की है, जिसे हम सबको बेहद ध्यान से समझने की आवश्यकता है. न्यायालय ने कहा कि जेएनयू के कार्यक्रम में की गई नारेबाज़ी में जिस तरह की विचारधारा दिखती है, उनकी सुरक्षा के दावे को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की सुरक्षा नहीं कहा जा सकता. न्यायालय को लगता है कि यह एक तरह का संक्रमण है जिससे ये छात्र संक्रमित हो गए हैं, और इससे पहले कि यह महामारी का रूप ले, इसे क़ाबू करने या ठीक करने की ज़रूरत है. उदाहरण देते हुए न्यायालय ने और स्पष्ट किया कि जब भी किसी तरह का संक्रमण अंग में फैलता है, उसे ठीक करने के लिए खाने के लिए एंटीबायोटिक दिए जाते हैं, लेकिन जब यह काम नहीं करता तो दूसरे चरण का इलाज किया जाता है. कभी-कभी सर्जरी की भी ज़रूरत होती है. लेकिन जब संक्रमण से अंग में सड़न होने का ख़तरा पैदा हो जाता है तो उस अंग को काटकर अलग कर देना ही इलाज होता है. साफ़ है कि इस फैसले में हर एक के लिए साफ़ सन्देश है और वह यही है कि राष्ट्रीयता की कदर हर हाल में करनी होगी, तभी न्यायालय नागरिक अधिकारों की रक्षा कर सकेगा अन्यथा जब राष्ट्र ही खतरे में होगा तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उससे बाहर तो नहीं! उम्मीद यह भी की जा रही है कि विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों तक के टीचर्स जेएनयू प्रकरण के बाद बेहद सचेत हो गए होंगे, क्योंकि उनकी अनदेखी अथवा उनकी किसी बात का गलत मतलब निकाल लेने से विद्यार्थियों के मस्तिष्क में अनायास ही ज़हर भर जाता है. भारत के महान कूटनीतिज्ञ माने जाने वाले आचार्य चाणक्य ने भी अध्यापकों की भूमिका के बारे में विस्तृत व्याख्यान दिए हैं और जेएनयू प्रकरण उन्हें उनकी असल भूमिका और जिम्मेदारी का भान कराने के लिए पर्याप्त झटका अथवा सीख मानी जा सकती है, इसमें कोई दो राय नहीं!

– मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली.

Students, teachers and right to freedom, new hindi article,

जेएनयू, कन्हैया कुमार , दिल्ली हाईकोर्ट, कन्हैया को जमानत , JNU, kanhaiya kumar, Delhi high court, तिहाड़ जेल, दिल्‍ली पुलिस, Tihar Jail,Delhi Police, chankya, deshdroh, patriotism, laddakh, rashtra, India, nationalism, abhivyakti ki swatantrata, hindi lekh, mother of kanhaiya, betrayl

समाचार” |  न्यूज वेबसाइट बनवाएं. | सूक्तियाँछपे लेखगैजेट्सप्रोफाइल-कैलेण्डर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh