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यदि हम हिन्दी ब्लोगिंग के जन्म के बारे में बिचार करें तब पायेंगें कि यह अभी अपने शैशवपन में ही है. वर्ष २००५ के आसपास ही हिन्दी के कुछ ब्लोगर उभर कर आये जिनमें श्री अलोक कुमार, श्री अमित, श्री, जितेन्दर, श्री रवि रतलामी, श्री अनुप शुक्ल जी, श्री मासीजिवी, श्री पंकज बैगानी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं. वर्ष २००७ में दिल्ली में हिन्दी ब्लोगर मीट आयोजित की गई जिसके माध्यम से हिन्दी ब्लोगर आपस में सम्पर्क में आये और हिन्दी ब्लोगिंग की दशा और दिशा पर विचार विमर्श हुआ. आरम्भ के दौर में हिन्दी ब्लोगर्स में जोश की कमी नहीं थी, काफ़ी कुछ लिखा जा रहा था पर पाठकों तक यह सब एक मंच के द्वारा कैसे पंहुचे यह सम्भव नहीं हो पा रहा था. इसी बीच हिन्दी ब्लोग एग्रीगेटर सामने आये और उन्होंने अपनी भूमिका बखूबी निभाई और पाठको की सुविधा के लिये सभी ब्लोगर्स के लेखन को एक स्थान पर उपलब्ध करवाया.
इसी बीच अन्तर्जाल पर “आर्कुट” जैसी शोशल नेटवर्किग साईट का सितारा आसमान छूने लगा और ब्लोगिंग में जहां ब्लोग संख्या बढ रही थी लेखन कम हो रहा था. मीडिया और अखबार से जुडे लोग ब्लोगिंग से जुडने लगे और हिन्दी ब्लोग जगत गुटों में बटने लगा. जहां विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता हो वहां उसका दुरुपयोग करने से भी लोग नहीं चूकते और यही यहां भी लागू हुआ. नौबत यहां तक पंहुची कि कुछ जाने माने ब्लोगर्स ने लेखन पर या तो कुछ समय के लिये या पूर्ण रूप से विराम लगा दिया.
छपास की प्यास और पाठकों की प्रतिक्रिया तुरन्त पाने की इच्छा ब्लोगर्स के लेखन को उर्जा प्रदान करते हैं. परन्तु सत्य यह है कि चाहे लेखन के लिये सभी के पास समय है परन्तु पठन के प्रति बहुत ही कम लोगों में रुची है और समय का आभाव तो है ही. दूसरा सत्य यह भी है कि प्रत्येक पाठक की अपनी एक रूची होती है कि वह क्या पढना पसन्द करता है. कवि को कविताओं में तो मिडिया से जुडे लोगों को खबरों में रूची होगी. टिप्पणियों की कमी भी ब्लोगर्स को अपने ब्लोग से दूर ले जा रही है. बची खुची कमी शोशल नेट वर्किगं साईट “फ़ेसबुक” ने पूरी कर दी है जिस पर तुरन्त ही “लाईक” पाने की सुविधा और “फ़ेसबुक पेज” की सुविधा हिन्दी ब्लोगर्स के लिये एक विकल्प बन गया है. यह भी एक कारण है कि बहुत से ब्लोगर्स अपने ब्लोग्स से विमुख हो कर अधिकतर सामाग्री “फ़ेसबुक” पर प्रेषित कर रहे हैं.
परिवर्तन समय की मांग है और सदा से प्रत्येक को परिवर्तन से गुजरना पडता है. “हिन्दी ब्लोगिंग” भी इसी दौर से गुजर रही है परन्तु इसमें चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है. वर्ष २००५ और आज में हिन्दी ब्लोग की संख्या में आशातीत बढोतरी हुई है. वर्ष २००५ में जहां गिने चुने हिन्दी ब्लोग थे वहीं आज वह पचास हजार की संख्या पार कर चुके हैं.
जब हिन्दी ब्लोग जगत की उत्पति हुई थी उस समय हिन्दी टंकण के साधन ना के बराबर थे. आज हिन्दी टंकण के लिये अनेक “सोफ़्ट वेयर” उपलब्ध है जिन्हें बडी आसानी से कोई भी बिना किसी पूर्व दक्षता के प्रयोग कर सकता है.
एक और बात जो हिन्दी ब्लोगिंग के उत्साह जनक है वह है अन्तरजाल तक आम आदमी की पंहुच. मोबाईल फ़ोन द्वारा भी ब्लोगिंग के द्वार खुल गये हैं.
आज हर विषय जैसे, कविता, गजल, कहानी, सामाजिक विषयों, मिडिया, समाचार, सांईस, मेडिकल, ईन्जीनिरिंग, खानपान, फ़ैशन व स्टाईलिंग पर ब्लोग्स हिन्दी में उपलब्ध हैं
हिन्दी ब्लोगिंग को जन जन तक पंहुचाने के लिये आवश्यक है कि इससे संबन्धित जो भी “टूल और टेकनिक” उपलब्ध हैं सार्वजनिक माध्यमों से उनका प्रचार और प्रसार किया जाये ताकि ब्लोगिंग किसी के लिये भी अनबुझ पहेली या अनजाना विषय न रहे जैसा कि मेरे लिये व्यक्तिगत रूप से २००६ तक था.
आवश्यकता इस बात की भी है कि केवल लेखन के लिये लेखन न किया जाये. सार्थक विषय चुने जायें जिससे सामाजिक कुरितियों को समाप्त किया जा सके और जो समस्याऐं आज समाज और देश के सामने खडी हैं उनके समाधान सुझाये जा सकें.
यदि उपरोक्त पर गंभीरता से काम किया जाये तो हिन्दी ब्लोगिंग का भविष्य नवपरिवर्तनों के दौर में भी उज्जवल रहेगा.
मोहिन्दर कुमार
09899205557
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