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सभ्य समाज का विभत्स रूप

दिल का दर्पण
दिल का दर्पण
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जिस समाज में हम सब रह रहे हैं उसका असली चेहरा हमारी आशाओं के अनुरूप क्यों नहीं है यह एक बहुत बडा प्रशन है। इसका उत्तर भी प्रशन में ही छुपा हुआ है। परिवार समाज की इकाई है और हम सब परिवार की इकाई। इस हिसाब से तो बुराई कहीं न कहीं हम में ही है। दामिनी बलात्कार के प्रत्यक्ष गवाह जो दामिनी का मित्र है की आप बीती सभ्य समाज के गाल पर करारा तमाचा है। स्पष्ट शब्दों में उसने बताया कि किस तरह घटना वाले दिन वह मदद के लिए गुहार लगाता रहा परन्तु किसी ने उन दोनों की मदद नहीं की। लोग तमाशाई बने रहे किसी ने उन्हें लिफ़्ट या कपडे नहीं दिए। पुलिस भी काफी देर तक इसी बात पर सोच विचार करती रही की किस थाने के अंतर्गत यह इलाका है। जहां पल पल उनके जीवन के लिए महत्व पूर्ण था वहां संवेदन हीनता ही उनके हिस्से आयी चाहे वह वहां से गुजरने वाले सभ्य समाज के लोग थे, पुलिस थी या फिर अस्पताल वाले। दामिनी के मित्र का यह कहना कि हम मोमबत्ती जला का समाज में परिवर्तन नहीं ला सकते एक दम उचित है। उसका यह प्रशन कि क्या वहां से गुजरने वाले लोग उन लोगों से भिन्न थे जो मोमबती जला कर विरोध प्रकट कर रहे थे उसकी असहाय स्थिति और हमारे समाज की असंवेदनशीलता को दर्शाता है.
बलात्कार की 24206 घटनाओं में से जो 2011 में दर्ज की गयी 22549 घटनाओं में अपराधी परिवार के सदस्य, संबंधी, पड़ोसी अथवा मित्र थे जिनसे पीड़ित को कभी खतरा महसूस नहीं हुआ। पीड़ित किसी भी उम्र व लिंग के हो सकते हैं। शर्म व डर के कारण बहुत सी घटनायें छुपी रह जाती हैं।
राष्टीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2011 में बलात्कार के 15423 मुक़दमे निपटाए गए। 26 प्रतिशत (4072) को अपराधी ठहराया गया और 11351 निर्दोष घोषित किये गए। इनमें पिछले वर्षों के दर्ज मामले भी शामिल रहे।
केवल मणिपुर एक ऐसा प्रदेश रहा जहा 100 प्रतिशत मामलों में सजा सुनाई गयी।
इन आंकड़ों से क्या सच सामने आता है?
सख्त कानून बनाने और लागू करने के अतिरिक्त भी कुछ कदम और भी हैं जो इन घटनाओं को रोकने में मददगार बन सकते हैं।
1. परिवार और विद्यालय में बच्चों को शिक्षित करना कि अपने परिचित नजदीकी या फिर किसी अनजान व्यक्ति की किस किस हरकत को अनदेखा न करें और इसकी सूचना तुरंत परिवार के सदस्यों को दें।
2. जहां तक हो सके सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें और किसी अनजान व्यक्ति से लिफ़्ट न लें। ऐसा सार्वजनिक वाहन जिस में अन्य सवारी न हो प्रयोग न करें।
3. रात में सुनसान रास्ते का प्रयोग पैदल अथवा अन्य वाहन से न करें।
4. सिनेमा आदि के रात्रि शो देखने से परहेज करें।
5. किसी पार्टी अथवा समारोह से रात में आना पडे तो ग्रुप में निकलें।
6. पार्टी में नशीले पदार्थों का सेवन न करें और शीतल पेय भी लेना पडे तो गिलास के जगह बंद बोतल का प्रयोग करें।
7. पार्टी अथवा समारोह में अपने वस्त्रों पर भी ध्यान दें। उघाडू और भड़कीले वस्त्र आपके चरित्र को अन्यथा दर्शाते हैं और मुसीबत को आमन्त्रण देते हैं।
8. लड़का हो अथवा लड़की शारीरिक रूप से उसे खतरों से निपटने के योग्य बनायें।
9. अविभावकों को चाहिए कि वह अपने वच्चों के किर्या कलापों और उनके मित्रों के बारे में पूर्ण जानकारी रखें। यदि घर के बाहर हों तो उनसे सम्पर्क बनाए रखें।

और सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि यदि हम किसी ऐसी घटना से रूबरू होते हैं तो संवेदनशीलता का परिचय देते हुये पीडित की तुरन्त सहायता करें

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