Menu
blogid : 3495 postid : 3

“परिचय”

Kuchh Apni Kuchh Apki
Kuchh Apni Kuchh Apki
  • 3 Posts
  • 17 Comments

सभी जागरण जंक्शन के रचनाकार और ब्लॉगर बंधुओं एवं बहनों को मेरा नमस्कार…………..

मेरा नाम “मोनी कुशवाह” है, मैं उत्तरप्रदेश के कानपुर देहात जो अब रमाबाई नगर के नाम से जाना जाता है, की निवाशनी हूँ…………

यूँ तो मैं कुछ विशेष नहीं लिख पाती हूँ परन्तु मुझे रचनाकारों की रचनाओं का संकलन करना बेहद पसंद है,

मैं अपने बचपन के मित्र मनीष जी जो की अपने नाम के आगे “गमेदिल” उपनाम जोड़ते हैं, से बहुत ही प्रभावित हूँ, वो हमेशा कहते हैं जिसे कविता, ग़ज़ल या रचनाकारों की रचनाओं को सुनना पसंद होता है वो एक रचनाकार से कम नहीं होता……… क्यूंकि रचनाओं को समझना सबके बस की बात नहीं…….. मैं यह तो नहीं जानती ये विचार सही है या नहीं परन्तु इन विचारों ने मुझमे एक अजीब सी स्फूर्ति प्रदान की है और कभी कभी टूटी फूटी छंद बद्द कविता लिख लेती हूँ…….

मैं अपनी प्रथम पोस्ट की शुरुवात डाक्टर कुमार विश्वाश की उस ग़ज़ल से करना चाहूंगी जिससे न केवल मैं अपितु न जाने कितने मन प्रभावित हुए होंगे.

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है, 

मैं तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है
ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है !!!

समुँदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आसुँ प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता ,
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता !!!
मुहब्बत एक एहसानों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूँ हैं
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है !!!

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा !!!

 

 

रचनाकार – डॉक्टर कुमार विश्वास

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh