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कह दूँ तुम्हे या चुप रहूँ दिल में मेरे आज क्या है …….

Hum bhi kuch kahen....
Hum bhi kuch kahen....
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सवाल हैं बहुत पर जवाब नहीं मिलते ,
कहना है बहुत कुछ पर अल्फाज़ नहीं मिलते …….


कभी लगता है कि सब कुछ है मेरा ,
कभी लगता है कि क्या कुछ भी नहीं मेरा……


कभी- कभी गम में भी मुस्कुराते हैं ,
और कभी खुशियों में भी खुद को
तनहा पाते हैं …..


कभी जिंदगी लगती है बड़ी प्यारी ,
लेकिन कभी- कभी जिंदगी बन जाती है दुश्वारी …..


ख़ुशी के पल, पलक झपकते बीत जाते हैं ,
लेकिन काटे नहीं कटते हैं वो दुखी पल जो बड़ा रुलाते हैं……..


कभी अपने , अपने से नहीं लगते ,
कभी कुछ पराये भी दिल के बड़े करीब होते हैं ………


कहते हैं मौत तो मुफ्त में बदनाम है ,
सारी तकलीफे और दुःख तो जिंदगी ही देती है …………


इस तरह न देखो दोस्तों शक की निगाह से ,
कभी कभी तो दिल इज़ाज़त देता है ये सब बयान करने को …..


कहना है और भी बहुत कुछ ऐ दोस्तों ,
पर आज इतना ही , बाकि फिर कभी मौका मिला तो कहेंगे ……


*****************************************************************प्रवीन मलिक

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