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पीते हैं शराब करते है झगडा
कैसा है ये लोगो का लफड़ा
रोते-बिलखते बच्चे भूख से
फटे-पुराने वस्त्र पहने बीवी
दिखता बदन झाँक-झाँक के
गन्दी नज़रें करें ताक-झाँक
मजबूर औरत तन छुपाती
फटे-पुराने छनकते पल्लू से
करती दिन भर धुप में मजदूरी
दो वक़्त की रोटी जुटाने को
शाम को जब लौटे काम से
पैसे छीन लेता शराबी अकड़ से
नहीं चिंता उसको भूखे बच्चो की
नहीं बीवी के झलकते बदन की
लौटेगा फिर लड़खड़ाते कदमो से
बोलेगा अपशब्द करेगा अपमान
क्या यही है एक मजबूर बीवी की
मैली कुचैली सी दीन-हीन पहचान
और हम फिर लिखते हैं लेखो में
नर और नारी दोनों हैं एक समान
नारी की दुर्दशा आज भी है इस
हिन्दुस्तान की घिनौनी पहचान
लेकिन हम ख़ुशी से गाते हैं
मेरा भारत दुनिया में महान
जहाँ नन्ही कली से होता दुर्व्यवहार
सजा मिलती नहीं उस कसूरवार को
खुला घूमता रहता है वो दानव
फिर से ढूँढने नए शिकार को
पैसा फेंको तमाशा देखो यहाँ
मानवता हो रही है नीलाम
ऐसा हो गया है ये हिन्दुस्तान
कैसे गर्व करे हम हो रहे शर्मसार
जाने कहाँ खो गया है वो भारत महान
*******प्रवीन मलिक ********
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