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ये तो बात हुयी तब की जब माँ लौटकर आने को जाया करती थी ….
माँ तुम ना छोड़कर जाया करो
याद तुम्हारी बहुत आती है
सब खेलते हैं ख़ुशी से लेकिन
मेरी दिल में एक उदासी है
सब कुछ होता है घर में
फिर भी नज़रें कुछ ढूंढती हैं
जब तुम्हारे आने का दिन होता
दिल में ख़ुशी का अहसास होता
सुबह से लेकर शाम तक
जाने कितनी बार घडी देखती
बाहर खडी हो फिर रस्ते को तकती
फिर दूर से कोई आता दिखता
दौड़कर उसके पास पहुँचती
तुझको न पाकर फिर मायूस होती
इंतज़ार में समय कटता नहीं
कहीं भी फिर चैन नहीं
माँ तुम ना छोड़कर जाया करो
याद तुम्हारी बहुत आती है … !
क्यूंकि अब तो तुम चली गयी हो न छोड़कर हमेशा के लिए अपनी यादों का मीठा तोहफा देकर ……….
माँ तुम जो चली गयी हो छोड़कर
मिलता नहीं अब किसी का वो
प्यार से सर को सहलाता हाथ
मिलता नहीं अब वो मखमली
आँचल जिससे तुम मेरे दुखी
होने पर आंसू पोछा करती थी
गलती करने पर डांट डपटकर
फिर थोड़ी देर में मना लेती थी
वो ममतामयी गोद जिसमे
सर रखकर सो जाने से गम
जिंदगी के मिट जाया करते थे
तेरे प्यार के साये में ही
मुश्किलों के तूफानों का
डटकर सामना किया करते थे
माँ तुम जो चली गयी हो छोड़कर
हमेशा के लिए उस आसमान में
तारा बन चमकने के लिए
रोज शाम उस तारे को
मैं घंटो निहारा करती हूँ
मन ही मन तुमसे बाते कर
दिल को हल्का करती हूँ
और तुमको हर दिन हर पल
पहले से भी ज्यादा याद
किया करती हूँ ………. 🙁 🙁 🙁
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