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उत्तर प्रदेश में चुनाव हमेशा से ही नतीजे से बेहतर होते हैं और नतीजा हमेशा ही उत्तर प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ता है | हर बार कुछ नयी उठा पटक, वादे ,गठबंधन अदि चर्चा का विषय बने रहते हैं | इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन और बाप-बेटे की जंग ने कुछ नयापन सा लाया है, और मीडिया में बैठे विशेषज्ञ रोज़ मासूम जनता के दिमाग से छेड़-छाड़ किये जा रहे है |
ये बात तो आम है कि इस बार का चुनाव २०१९ के लोक सभा चुनाव को मद्देनज़र रखते हुए लड़ा जा रहा है, और अगर आशंकाओ को छड़ भर के लिये भी सच मान लिया जाये तो राहुल गाँधी को देश का अगला प्रधानमंत्री कहा जा सकता है | वैसे लालू प्रसाद यादव ने एक बार संसद में कहा था “प्रधानमंत्री यहाँ कोन नहीं बनना चाहता है”, लेकिन सब शायद प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं | इसी प्रकार एक समय के राजनीती के दिग्गज़ों की बात करें तो भारत के प्रधानमंत्री पद के सपने संजोये हुए कई राजनेता अब वो सपने अपनी अगली पीढ़ी को सौप चुके हैं |
खैर बात यहीं खत्म नहीं होती, प्रधानमंत्री ना सही पर हमारे देश ने आज तक के इतिहास में कोई युवा राष्ट्रपति नहीं देखा है और शायद यही सोच सपना बन कर उत्तर प्रदेश में कहीं आज भी जीवित है | कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का विलय भले ही कुछ खट्टा-मीठा सा हो लेकिन शायद नेता जी अभी भी कांग्रेस के दिखाए हुए सपने को जीने की कोशिश कर रहे हैं | जी हाँ, नेता जी को हम देश का १५ वाँ राष्ट्रपति बनते हुए देख सकते हैं |
दूर के ढोल हैं ये पर किसे पता कि पार्टी के अंदर क्या मगजमारी चल रही है | एक बेटे की बाप से रुसवाई किसी को भी ना भाई, पर ये क़र्ज़ रहा जो आने वाले सालों में चुकाना मुमकिन है | उत्तर प्रदेश के चुनाव बशर्ते रोमांचक होंगे पर अब नज़र २०१९ में होने वाली उठा-पटक पर होगी | नेता जी को राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुँचने में अभी बहुत समय है और अड़चने भी बहुत हैं पर परदे के पीछे का खेल बड़ा ही दिलचस्प होता जा रहा है |
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