- 36 Posts
- 16 Comments
बात उन दिनों की है जब देश में नोटबंदी का ऐलान हुआ था। रात को ८ बजे की यह घोषणा सबके कानों में फिर भी नहीं पंहुच पाई थी। दिल्ली में रहने वाले गौरव भी उनमें से ही एक युवक थे। देश के अधिकांश युवकों की तरह ये भी अपनी कॉर्पोरेट जॉब से परेशान थे और रोज़ की तरह आज भी अपनी दुपहिया से निकलकर पेट्रोल पंप की तरफ बढ़ चले। रास्ते में एटीएम के पास बढ़ी हुई भीड़ देखकर कुछ सकपकाए जरूर पर दिल्ली में वैसे भी ज्यादातर एटीएम हमेशा ख़राब ही रहते हैं, यह सोचकर आगे बढ़ लिये।
खैर, आगे बढ़ते हुए पेट्रोल पंप पर पहुँचे। आज भीड़ कुछ ज्यादा थी। कानों में ईयरफोन होने की वजह से बहार की बातें सुनना भी मुमकिन नहीं था। नंबर आते ही उन्होंने ४०० का पेट्रोल भरवाया, कानों से इयरफोन निकले और बटुए से कार्ड निकालकर रकम अदा करने लगे। तभी पीछे से एक आवाज़ आयी, “तुम्हारे पास जब ५०० के नोट हैं, तो कार्ड क्यों दे रहे हो”। पीछे खड़ी मोहतरमा ने गौरव को बटुए से कार्ड निकलते हुए देखा था और साथ ही उसमें रखे हुए ५०० के नोट भी देख लिये थे।
गौरव को यह बात काफी अजीब लगी। भला ऐसे ही किसी अजनबी के बटुए के अंदर झांकना और कार्ड की जगह नोट देने को बोलना, गौरव इस सोच से बाहर आता और कुछ आगे बोलता, उससे पहले ही वो लड़की फिर से बोल पड़ी, “तुम न्यूज़ नहीं देखते क्या?” इस बार कुछ बोलने की बजाये गौरव ने अपनी गर्दन नकारात्मकता में हिलायी।
मोहतरमा ने फिर उनको समझते हुए बोला, “आज रात १२ बजे से ५०० और १००० के सभी नोट बंद हो रहे हैं। ८ बजे ही घोषणा की गयी है। जितने हैं निकाल दो, वरना बैंक के चक्कर लगाने पड़ेंगे”। ३० वर्षीय गौरव ने तुरंत अपना फैसला बदला और ५०० का नोट सामने किया। यह सब होते हुए पेट्रोल पंप का कर्मचारी देख रहा था और बुझे मन से उसने वो नोट पकड़ा और बाकी के पैसे वापस किये।
गौरव ने भी उन मोहतरमा का शुक्रिया अदा किया और आगे बढ़ने लगे। स्वाभाव से शर्मीले गौरव ने एक बार तो सोचा कि उस लड़की का आखिर नाम तो पूछ ही लूँ पर हिम्मत न हो पायी। दोनों पहियों में हवा भरवाई और अपनी गाड़ी स्टार्ट की, तभी पीछे से आवाज़ आयी, “एक्सक्यूज़ मी… “मेरा नाम शीतल है, और आप”?
गौरव ने पीछे मुड़कर देखा तो ये वही मोहतरमा निकलीं और मन में जो मलाल पल चुका था, अब वो हल्का सा लगने लगा था। शीतल का नाम सुनते ही गौरव ने खुद का परिचय दिया और फिर से मिलने के लिये हिम्मत जुटाकर फ़ोन नंबर माँगा। यह थी गौरव और शीतल की पहली मुलाकात।
आज गौरव और शीतल की शादी है, उनकी वो पहली मुलाकात चाहे जिस भी वजह से हो, लेकिन एक साल पहले शुरू हुई कहानी आज एक हसीन मुकाम तक जा पहुँची है। कभी-कभी कुछ संयोग हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं और अगर ये संयोग किसी अच्छे अंजाम तक पहुँच जायें, तो यादें और भी खूबसूरत हो जाती हैं।
Read Comments