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कृपया अति से बचें

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जीवन में किसी क्षेत्र में अति सदा दुखदायी परिणाम देती है जीवन में सब से पहला स्थान माँ का होता है .संतान उनके आँचल तले परवान चढ़ती है .लेकिन जब वही माँ संतान -स्नेह की अति कर देती है तो परिणाम कभी कभी उल्टा हो जाता है माता कैकेई राम को वनवास इस लिए नहीं दिलवाया था कि वह उन्हें प्रिय नहीं थे .वह केवल भरत को निष्कंटक राज्य दिलवाना चाहती थी .पर उनके प्रेम की अति ने दशरथ को मृत्यु शय्या ,राम लक्ष्मण सीता को वनवास ,उर्मिला को एकाकीपन और परमप्रिय भरत को वनवासी सरीखा जीवन उपहार में दे दिया .आज के परिप्रेक्ष्य में भी माताओं को सावधान होने की आवश्यकता है उनका अत्यधिक लाड प्यार संतान का भविष्य संवारने के बजाय बिगाड़ दे .

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