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कर लेते समझौता कोई
जिंदगी से सौदा मगर
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
नजरों से उतरा रूह में वो जो इक बार
भाया हो फिर कोई और
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
जिन रंगों से बनाई थी तस्वीर तेरी
फीके वो रंग हुए हों
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
गया यूँ तो दूर वो कई बार
लौट के न आया हो पास मेरे
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
होने वाले होते हैं सच जब सपने
राह रोकने को आये ना अपना कोई
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
अक्सर किये सवाल कई जिंदगी से
मिला हो जवाब कोई मगर
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
बरसे बरखा रिमझिम रिमझिम
और भीगे न तन मन
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
चाहा कि संवार दे अक्स ज़रा
मिन्नतें मेरी मान ले आइना
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
उल्फत भी करते हैं
और बेकरारी न हो
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
जो आज है वो कल न रहेगा
नियम यह कुदरत का बदल जाये
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
काश कि आ जाता
बचपन फिर एक बार मगर
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
ऊँची और ऊँची उठती रही लहरें
चाँद से मिलने की खातिर मगर
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
हो जाती हैं कुछ, लेकिन
पूरी हों सभी ख्वावहिशे
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
रूह की न सुनते हम
तो कुछ और होते आज ,मगर
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
मुस्कुराते हो और
दर्द गहरा छुपा के रखा न हो
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
इंसां मिले कोई ऐसा
जिसमें न कोई ऐब हो
ऐसा कभी हुआ ही नहीं
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