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थिरकन में फिर धमक कुछ और है

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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थिरकन में फिर धमक कुछ और है

बजने दे साज़ कोई भी मगर
तेरी पायल की छनक कुछ और है
गीत सुने भी सुनाये भी हमने
हंसी तेरी की खनक कुछ और है
बहुतेरे रंग देखे दुनिया के
रंग बिखेरता धनक कुछ और है
परवाजें ख्वाह्शों की हों ऊँची
कहता मुस्कुरा के फलक कुछ और है
उठे कदम संग संग जब साथी
थिरकन में फिर धमक कुछ और है
गुरुर लाख करे चाँद चौदहवीं का
गेसुओं के पहरे में उस चेहरे की चमक कुछ और है

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