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जिंदगी कब तेरा क़र्ज़ पूरा हुआ

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
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अब तक न दर्द का सफर पूरा हुआ

अब तक न दर्द का सफर पूरा हुआ
जिंदगी कहाँ तेरा क़र्ज़ अदा हुआ
जिन रास्तों पे जाने से
रोका किया जमाना
आखिर में वही क्यों ?
तेरा मेरा रास्ता हुआ
मिले दर्द तो न जाने किस किस से
अजब हैं हम भी मगर
की हमको न किसी से गिला हुआ
अरसा हुआ
कोई खत न आया यारब
शायद मैं
जमाने के लिए बेपत्ता हुआ
कहीं हैं कोई खुदा या नही
बाकी है अभी
कहाँ यह फैसला हुआ
हर दिन
नए मसले ले क
र उगता है आजकल
ऐ आसमान
कुछ तो बता जमीन को हुआ

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