Menu
blogid : 13246 postid : 1389025

बात बनती नज़र नहीं आती

कुछ कही कुछ अनकही
कुछ कही कुछ अनकही
  • 193 Posts
  • 159 Comments

बात बनती नज़र नहीं आती
बात बनती नज़र नहीं आती
जब से उनकी खबर नहीं आती

काफिले हसरतों के थक गए पर
मंज़िलों की रहगुजर नहीं आती

बेरुखी नजरों में है ये कैसी
जिधर हैं हम उधर नहीं आती

कर लेते हाले -दिल बयां ईशारों में
बात करनी अगर नहीं आती

दिल जैसी चीज़ जो दी इक बार
लौटकर फिर वो घर नहीं आती

कर देती थी उजाले घर घर में
इन दिनों वो सहर नहीं आती

ख़ामशी पर यकी तो कर के देख
ये घडी लौटकर नहीं आती

चांदनी संग कभी ले के चाँद को
क्यों ज़मी पर उत्तर नहीं आती

जिन्दगी मेहरबां नहीं इतनी
वक्त पर कोई मेहर नहीं आती

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply