कुछ कही कुछ अनकही
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मांगी न थी पर संभाल रखी है
मांगीं न थी`पर संभाल रखी है
जिंदगी से यारी हर हाल रखीहै
सर माथे पे , जो भी दिया तूने
नेमत समझ के झोली में डाल रखी है
सुबहो -शाम करते है सज़दा तेरा
तेरी सूरत की मूरत ढाल रखी है
सुन के जहाँ हैरान होता रहेगा
इस तरह दास्ताँ तेरी बेमिसाल रखी है
डूबे है मेरे ख्यालों में इस कदर देखो
मुझसे ही मुलाकात टाल रखी है
चाल-चलन रीत-रिवाज बदले ,बदले रंग जमाने ने
हमने मगर इश्क की हर रवायत बहाल रखी है
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