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असली चेहरा ज़ाहिर हो ही जाता है

Great India
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किसी ने कहा है के :
हक़ीक़त छुप नहीं सकती बनावट के वसूलों से
खुशबु आ नहीं सकती कभी कागज़ के फूलों से
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अभी इब्तदाये इश्क़ है रोता है क्या
आगे आगे देख अभी होता है क्या
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आज बहुत ही अजीब हालात हैं समझ में नहीं आता के किसे दुश्मन कहूँ किसे कहूँ दोस्त कौन है जो देश या देश वासियों से प्यार करता है देश के लिए मरता है देश के लिए सोचता है या देश के लिए अपनी जान को खतरे में डालता है शायद वो सिर्फ तीन भाई हैं बस और कोई नहीं जिसे हम जल थल वायु सेना के नाम से जानते हैं बाक़ी आज अगर दूसरे लोगों की बात कही जाए तो वो बिलकुल भी देश से प्यार नहीं करता जिसके दिल में आम जनता की कोई इज़्ज़त या मोहब्बत नहीं हो अपनी कुर्सी या मान मर्यादा के लिए वो सब कुछ करना जिस से किसी की जान चली जाए किसी के मन को ठेस पहुंचे या किसी के आत्म सम्मान को चोट लगे ऐसे लोग किसी के हमदर्द कैसे हो सकते हैं जो आज अपनी कुर्सी के लिए आसानी से बिना सोचे बिना समझे बिना बात को नापे तौले बस खटखट बोल गए जो मोदी का विरोध कर रहा है जो मोदी के विपक्छ में है वो पाकिस्तान का हामी है और उसे यहाँ रहने का कोई हक़ नहीं

क्या इस जो में सिर्फ नेता या पार्टी ही है या आम जनता देश वासी जो जन्म कर्म धर्म से हिंदुस्तानी हैं वो इस जो में नहीं हैं ऐसा बयान सराहनीय और फायदेमंद है या उन तमाम हिन्दुस्तानियों के दिल पर वॉर करना है जो मोदी को नहीं चाहते , बिलकुल जब आज़म खान ने बयान दिया था तो आज तक वो गुनहगार हैं और सही है उनको सिर्फ एक समूह या एक धर्म के लोग को उस काम के लिए बोलना बिलकुल ग़लत है क्यूंकि देश का हर नागरिक अपने देश का सिपाही है जिसको जहाँ भी कोई देश का गद्दार मिले उसे वहीँ ज़बह कर देना हर नागरिक का धर्म है इस लिए आज जिस तरह आज़म खान के बयान से एक समूह को चोट लगा वैसे ही गिरिराज ( भाजपा ) के नेता से पुरे देश के उन देश प्रेमियों को चोट लगा है जो मोदी को नहीं चाहते हैं अब तो देश प्रेमी का प्रमाणपत्र उस वक़्त तक नहीं मिलेगा जब तक मोदी को वोट नहीं दिया जाय .

खैर ऐसे लोगों से देश वासियों पर कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता मगर य बात किसी न किसी आने वाले तूफान का संकेत हैं जो धीरे धीरे प्रसिद्ध होने के बाद अब मज़बूती को देखते हुए लोग दिल की बातें ज़बान तक ला रहे हैं यानि कुल मिला कर यही कहा जाए के अपनी कुर्सी के लिए कुछ भी किया जा सकता है जो कुर्सी तक पहुंचा दे यही नीति है आज के नेताओं का . इस लिए आज की जनता को चाहिए के बहुत ही सोच और समझ से काम ले जो हमें एक दूसरे को अलग करना चाहते हैं लड़ाना चाहते हैं अपनी सियासत की रोटी सेंकना चाहते हैं उन से हुशियार रहें और अपना नेता उसी को चुने जो घर और नज़दीक का हो जिसे जब चाहें अब रोड पर पकड़ा जा सके आज सभी एक ग़रीब से भी आसानी से मिल सकते हैं क्यूंकि एक वोट चाहिए कल जितने के बाद लाइन लगाने के बाद भी दर्शन दुलम होता है बल्कि जो गरीब और ईमानदार हो घर का हो उसे अपना नेता बनायें कुछ तो उसे शर्म आएगी और अपने पकडे जाने का खौफ रहेगा.

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