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१. क्या हम एक बाप ( आदम ) के सभी औलाद नहीं ?
२. क्या हम एक देश के नागरिक नहीं ?
३. क्या हमारा एक पहचान भारतीय नहीं ?
४. क्या हम सभी अपने देश के सिपाही नहीं ?
५. क्या हमारा एक नारा ” हिंदुस्तान हमारा ” नहीं ?
६. क्या हमारी सभ्यता बेमिसाल नहीं ?
७. क्या हमारा देश अनेक धर्मो के संगम से गौरव शैली नहीं ?
फिर हमें इस बात का एहसास क्यों नहीं के
हमारी ताक़त एक हो
हमारी मोहब्बत बेमिसाल हो
हमारी आवाज़ एक और शक्तिशाली हो
हमारी पहचान अनोखी और निराली हो
देश में हर तरफ कामयाबी और खुशहाली हो
हमारे दिन ईद और रात दिवाली हो
हमारा दिल नफ़रत किना बदला और दूसरे के बुराईयों से खाली हो
नफरत फ़ैलाने वालों के मुंह पर काली हो
प्रेम एकता अखंडता और सदभाव का पाठ सिखाने वालों के आँख शर्म से खाली हो
जिसे आपसी भेदभाव से तोडा नहीं जा सके वो भारतीय शक्तिशाली हों
हमारे दिल बाज़ू निगाहें हर वक़्त माँ बहनो की रखवाली में हो
हर वो शब्द जो नेकी और अच्छाई का दावत दे चाहे वो जिस भाषा का हो उसे हम अपना लें
उन ताक़तों को न पनपने दें न जन्मने दें जो हमें एक दूसरे से दूर करे जो हमारे जज़्बातों से खेले
हर पेचीदा और मशकूक बातों को नापे और तौलें फिर उसको अंजाम तक पहुंचाएं ताके किसी पर ज़ुल्म न हो किसी का दिल न दुखे
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काश हमारी सोच बदल जाती हम बदल जाते देश विकास के राह पर तेज़ी से निकल पाता हमारे दिल में प्यार ही प्यार होता नाम नेहाद और दौलत के लालची नेताओं का सफाया होता हर तरफ पुण्य ही पुण्य की गंगा बहती हर तरफ खुशहाली ही खुशहाली होती हमें देश और समाज पर नाज़ करने का औसर मिलता .
अगर हम चाहे तो मुमकिन है देर नहीं हुई अभी सवेरा है बस इरादा का देर है मंज़िल क़रीब हो सकती है
हिंदुस्तान ज़िंदाबाद एकता और अखंडता पायिन्दाबाद हमीरी मोहब्बत ज़िंदाबाद
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