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घर वापसी या नफरत की आंधी ?

Great India
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सबसे पहले वो लोग जो अपने उन तमाम हदों को तोड़ कर देश दुनिया से बेफिक्र होकर या यूं कहिये के खुद को महात्मा और महान व्यक्ति समझने की ग़लती के सहारे या ये कहा जाए के ” सैया हुए कोतवाल अब दर काहे का ” जैसे मुहावरे को सच करने का सही समय समझ कर इस कार्यकर्म को तेज़ कर रहे हैं जिसे ये अंदाज़ा नहीं के ये रास्ता किस तरफ जा कर खत्म होगा या किस तूफानी मोड़ पर खतनाक हो जाएगा .
घर किसे कहते हैं घर होता क्या है मिटटी चुना सीमेंट से बना घर उस वक़्त तक घर नहीं होता जब तक घर कहलाने के काबिल न हो जाए उस घर में प्रेम एकता मानवता और एक का दूसरे के लिए त्याग है के नहीं आदर सम्मान है के नहीं उस घर में जो रहते हैं वो सब एक सूत्र में बंधे हैं के नहीं जब तक एक सूत्र में थे तो एक घर और एक परिवार में थे जब विचार सूत्र टूट गए तो दूसरे घर की ज़रुरत पड़ी और अपने विचार और आत्मा को शुध रखने और मानवता को कायम रखने के लिए पुराने घर के माहौल से निकल कर एक ऐसे घर में जाने की ज़रुरत पड़ती है जिस घर में सब कुछ बच सके जबकि कोई भी अपने परिवार और सगे सम्बन्धी को छोड़ कर दूर जाता है तो बहुत ही तकलीफ होती है मगर मनुष्य अपने आत्मा की शांति और मुसीबत से बचने के लिए हर तकलीफ को बर्दाश्त करना पसंद करता है और मनुष्य अपने दिल की बात सुनते हुए उस घर और समाज को कबूल कर लेता है और सुख शांति के के घर में जा बस्ता है ये हुआ घर बदलना .
अब अगर उसे फिर पहले वाले दलदल नुमा घर और नापसंदीदा माहौल में ज़बरदस्ती लाना चाहता है और उसे धन या बल या छल से अपने घर में लाना चाहता है तो उसे वापसी नहीं बल्कि नफरत की चिंगारी को भड़काना कहते हैं और घर को आग लगा कर पुरे बस्ती को आग के हवाले करना समझना चाहिए हमारा घर सुन्दर अति सुन्दर है हमारा घर सभी भाईओं का है इस घर में रहने वाले बहुत हद तक अच्छे और नेक सवभाव के हैं मगर कुछ ऐसे हैं जिनको हमारी मोहब्बत और एकता और प्रेम अच्छा नहीं लगता वो ये भूल चुके हैं के हिंदुस्तान जग चूका है ये सभी भाई अपनी मादरे वतन की आबरो को बचने और इज़्ज़त दिलाने के लिए सर पर कफ़न बंधे मैदान में निकल चुके हैं जो भी इस एकता को तोड़ने की कोशिश करेगा वो कुचला जाएगा आज नन्द किशोर एक मुजरिम होकर लोगों में दरार डालना चाहे या परवीन तोगड़िया जैन हो कर हिन्दू मुस्लिम के बीच नफरत की आंधी फैलाना चाहे मगर ऐसा नहीं होगा सभी मिल कर इस इरादे को कुचल देंगे .
धर्म किसी को छल बल कल का सबक नहीं देता है खास कर इस्लाम का सन्देश है के ” ला एकराह फ़िद्दीन कद बय्यनर रोशदो मेनल गैय ” हिंदी : धर्म में कोई ज़बरदस्ती नहीं अपने तरफ से उजाला फैलाओ अँधेरा खुद दूर हो जाएगा . जो सच और हक़ की तलाश में रहते हैं उनको मिल जाता है आज हर मनुष्य और जीव जंतु का भी यही सोच है के हमें वही खाना या प्रयोग करना चाहिए जो हमारा है एक मिटटी का घड़ा भी खरीदते हैं तो ठोक कर देखते हैं के कहीं छेद तो नहीं यहाँ तो देश और ईमान का मामला है कैसे आँख बंद कर के सब कुछ कबूल कर लिया जाएगा सबको अपने धर्म और देश से प्यार है सभी को मिल जुल कर इस खुशबु को बचाना होगा और इस चमन को आबाद रखना होगा चमन में हर तरह के फूल जब खिलते हैं तो वो चमन खूबसूरत और सुगन्धित लगता है चमन वही चमन है जिस चमन में हर तरह के फूल खिले और अपनी अपनी खुशबू से चमन को महका दे . आज सभी के ज़बान पर इक़बाल का शेर तो है मगर किसी के दिल में नहीं उतरता अगर सभी दिल में उतार लें तो पुरे देश को एक अच्छे दिशा में ले जाना मुश्किल नहीं यानि .
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा
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मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है हिन्दुस्तां हमारा

किसी भी नापसंदीदा शब्द के लिए माफ़ी चाहूंगा
आपका
ईमाम हुसैन क़ादरी सीवान बिहार भारत ( अलखोबर सऊदी अरबिया से )

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