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लिव इन रिलेशन ( नए रिश्तों में ) 2

Great India
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प्यारे दोस्तों और मेरी बहनो कुछ बातें जो हमारे घर और बसे रसे परिवार के रंगो में भंग और खुशियो में ज़हर घोलने के लिए अपने पुरे फ़ौज और हथियार के साथ हम पर आक्रमण के लिए तैयारी कर रहा है जो उन तमाम मान मर्यादा चलन हया शर्म घूँघट कि लाज मोहब्बत और उन अटूट प्रेम बंधन कि जड़ें काट देना चाहता है जिस से हमारी पहचान और सम्मान होता है .
सच्चाई ये है के इस गन्दी हवा ( लिव इन रेलेशन ) से सिर्फ और सिर्फ हमारी बेटियों और बहनो का ही नुक्सान और बर्बादी होने कि गारेंटी पैदा हो रही है हमारे समाज में वो लोग जो आज कल विद्यार्थी के रूप से लेकर हर रूप का धारण करते हुए सबसे प्यारा और मनमोहक रूप जिस रूप पर हर जिव जंतु भी धोखा खा जाय यानि के संत फ़क़ीर साधू अंतर्यामी के रूपमें भी आज नंबर दो बने हुए घूम रहे हैं और उन्हें सिर्फ एक ही चीज़ कि तलाश है के किसे हवस का शिकार बनाया जाय और ऐसे शिकारियों के लिए ये हवा अच्छी साबित होगी और उनके मन कि मुराद मिल जायेगी इन शिकारियो में ऐसे भी शिकारी हैं जिनको पैसों और हक़ से नहीं डराया जा सकता जम कर पैसों के ज़ोर पर सौदा करेंगे और रोज़ एक नयी ज़िन्दगी से खिलवाड़ करेंगे .
ये हुयी वो बातें जिनसे दर लग रही हैं या घटना घट सकती हैं मगर अब ये भी देख लिया जाय के आखिर वो कौन हैं जिन्हे इसकी ज़रुरत पद रही है . ऐसी औरतों के बारे में भाग एक में कुछ बता चूका हूँ कुछ और भी ज़रूरी हैं ज़रा देख लिया जाय.
( क ) वो माँ बाप जो अच्छी तालीम अच्छा खाना अच्छे मकान अच्छी गाड़ियां अपनी पुत्री और पुत्र को देते हैं और खुली आज़ादी भी दे रखते हैं उनके पास किसी चीज़ कि कमी नहीं होती जिसको जो चाहिए सोचते ही मिल जाता है मगर उन बदनसीब बच्चो कि असल ज़रुरत कि फिकर समय से माँ बाप को नहीं होती जिस से दोनों पुत्र और पुत्री को सही सकून मिले और वो उन रास्तों पर चलने से पहले ही दुनिया कि रस्म व रेवाज के मुताबिक उन्हें भी समय से मिल जाय तो ये ज़रुरत उन्हें कभी नहीं पड़ेगी वो ज़रुरत है दोनों को १८ और २० तक पहुँचते ही जन्म जन्म तक के बंधन में बाँध देना अगर आज हर माँ बाप इस पर धयान दे तो शायद ही नहीं यक़ीन है के आज के समाज में घुसने वाली हर वो गन्दी बुरायिओं में से कुछ का सफाया हो जाय .
( ख ) वो माँ बाप जिन्होंने अपने घर में पुत्र और पुत्री को जन्म तो दे दिया खाना कपडा भी दिया अच्छी परवरिश भी कि मगर अब समाज में एक ला इलाज बिमारी ( जहेज़ कि मांग ) के घुस जाने के वजह से वो मजबूर है अपनी पुत्री के अरमानो का खून करते जा रहा है उसे रोज़ रोज़ जलते हुए देख तो रह है मगर कुछ कर नहीं पाता उसके पास वो दौलत नहीं के भिखारियों को भीख दे कर अपनी पुत्री को ख़ुशी दे सके उसका डोला सजा सके अब वो वक़्त आ जाता है के सब्र का बाँध टूट जाता है और उस मासूम पर किसी हवस कि शिकारी का नज़र पड़ जाती है और वो खुद भी अपने होश व हवास को खो देती है और या तो मिट जाती है या तो उसे शिकारी मिटा देता है अब गरीब बाप कि वो दौलत जिसे अपनी शान और इज़ज़त से बढ़ कर सम्भाला था अब लूट जाता है और यही कहता है के काश मैं ने पुत्री को जन्म नहीं दिया होता तो आज मैं अपनी क़िस्मत पर आंसू और अपनी इज़ज़त का जनाज़ा अपने कंधो पर नहीं उठता और ये लिव इन रिलेशनशिप के बारे में आवाज़ मेरे कानो तक नहीं आती .
( ग ) वो औरतें जिनको जैसे तैसे भी किसी के संग जीवन संगिनी बना कर भेज तो दिया गया मगर वो औरत बहुत सी अरमानो को दिल में सजाये बहुत सी सुखों के सपनो में खोयी खोयी रहती है उसे प्रेम नहीं मिलता उसे वो अधिकार नहीं मिलता जिसके लिए उसे इस नए घर में भेजा गया है पति देव कि बुरी लत शराब कि वो आदत कोठे कि वो बुरी बीमारी इनके जिस्म के रोम रोम रचा और बसा हुआ है इन्हे तो रोज़ नए फल कि ज़रुरत होती है अगर घर में कोई काली या सांवली या मर्ज़ी के खिलाफ पत्नी है तो उस बेचारी का रोज़ अर्थी नकलती है और न जाने किन किन शब्दो और ज़ुल्म कि मार सहती है तब कहीं जा कर उसकी ज़मीर यही कहती है के काश आज मैं ऐसी नहीं होती और इस से बेहतर था के आज़ाद होती .

अब हम अगर बहुत ही खूब से सोचें और अपनी ज़िन्दगी को एक हर मोड़ पर ले जाएँ ज़िन्दगी कि तमाम कठिनाईओं और अपनी ज़िम्मेदारियों को खूब ध्यान से सोचें तो पता चलेगा के हम ही वो इंसान हैं जो इन तमाम बर्बादियों और बुरी बीमारियो को दावत देते हैं अपनी पुत्र और पुत्रियों को गलत दिशा में जाने के लिए खुली रास्ता बनाते हैं और फिर जब हम पर मुसीबतों का पहाड़ गिरता है तो हमारी आँखें खुल कर फ़ौरन हमेशा के लिए कभी कभी बंद भी हो जाती हैं क्युंके ऐसे ही समय के इंतज़ार में ये बुरी हवाएं रहती है के कब किसी पर मजबूरियों का तूफान आये और हम ऐसे हथियार का प्रयोग करें और अपनी ऐश और मस्ती कि महफ़िल सजाये और लिव इन रिलेशनशिप को धन्यवाद करें के इस ने ये आज़ादी दी के हम ऐश में डूबते जा रहे हैं और अपनी ज़िन्दगी को बहुत ही अच्छे से जी रहे हैं जिसका जो हो सो हो हम तो खुश हैं.

मेरे दोस्तों भाईओं और बहनो बचा लो अपने माँ बाप कि पगड़ी को बचा लो समाज कि सभ्यता को बचा लो देश कि रिट को रेवाज को और अपनी उस शान को जिस शान से ही हमारी और हमारे देश कि पहचान है शान है सम्मान है . ये नयी हवा हमारी नहीं हम उसके नहीं जो उसके हैं हम उसके नहीं इस लिए के ये हवा किसी भारतीय कि नहीं . धन्यवाद .

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